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स्कूलों में बच्चों की जान सस्ती क्यों?

स्कूलों में बच्चों की जान सस्ती क्यों?

प्रद्युम्न ने मदर्स डे पर अपनी मां को चिट्ठी लिखी थी. उसमें लिखा था कि तुम्हारी डांट में भी प्यार छलकता है मां. चिट्ठी की ये आखिरी लाइनें बहुत कुछ कहती हैं. प्रद्युम्न अपनी मां से कितना प्यार करता था ये उसकी चिट्ठी की हर लाइन से झलकता है. सात साल के मासूम का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. कोई ऐसे बच्चे की गर्दन पर चाकू कैसे चला सकता है, सोचकर ही रूह कांपती है.

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