एक अयोध्या, एक मस्जिद और एक मंदिर....हिंदुस्तान की तारीख में ये वो कहानी है, जो सियासत में मजहबी दखल का दरवाजा खोलती है. इसकी जमीन बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि की पैरोकारी और राजनीति की दो धारा में गोलबंद करती है. इस पर बहस सियासी भी होती है और इसकी सुनवाई अदालत में भी चलती रही है, लेकिन सुलह का सिरा इसके विध्वंस के 25 साल बाद आजतक नहीं मिला. अब आसरा है सुप्रीम कोर्ट से...जिसमें आखिरी दौर की सुनवाई पांच दिसंबर से शुरू हो रही है. अब सवाल यह है कि अयोध्या की अमन भरी आबो हवा में किसने आग लगाई? जानने के लिए देखिए पूरी कहानी......