मोदी की माया और मोदी के बाबू. 2002 से लेकर 2007 तक तक तो हर जुबान पर यही रहा. लेकिन महीने भर पहले ऐसा क्या हुआ कि मोदी ने माया से भी पल्ला झाडा और बाबू से भी. जिस माया बेन को दंगो के दाग के बावजूद मोदी ने मंत्री बनाया और जिस बाबू बंजरगी को मोदी सरकार के मंत्रियो ने हत्या करने के बाद भी फरार करवाया उसी माया और बाबू को लेकर जो सवाल 10 अप्रैल को मोदी सरकार ने उटाये उस पर 10 मई को जिस तरह पलटे उसने सबसे बडी राहत किसी को दी है तो वह माया बेन कोडनानी और बाबू बजरंगी ही है. सवाल है ऐसा क्या हुआ जो 30 दिनो में मोदी ने अपना ही निर्णय उलट लिया.