व्यवस्था में बदलाव के सवाल पर ताल ठोकने वालों ने संसदीय लोकतंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया. विरोध की भाषा ऐसी की बवाल मच गया है. धमकी दी जा रही है कि संसदीय विशेषाधिकार की कार्यवाई होगी. पर इन सबसे निडर हो कर अरविंद केजरीवाल अपने रुख पर कायम हैं. ऐसे में देश के सामने यक्षप्रश्न ये है कि इस बहस में कौन सही और कौन गलत.