जेपी का हर कदम इंदिरा गांधी की सत्ता को चुनौती दे रहा था, तो इंदिरा भी जेपी को सीधे निशाने पर लेने का कोई मौका नहीं चूक रहीं थीं. असल में अब इंदिरा गांधी तानाशाही के रास्ते पर निकल चुकी थीं और जेपी लोकनायक बनने के रास्ते पर.