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स्वाति मालीवाल को राज्य सभा भेज कर केजरीवाल क्या चाहते हैं?

स्वाति मालीवाल को राज्य सभा भेजने के पीछे अरविंद केजरीवाल का पहला मकसद तो संजय सिंह की भरपाई करना ही लगता है, लेकिन वहां पहुंच कर वो आम आदमी पार्टी के लिए उम्मीदों से ज्यादा फायदेमंद हो सकती हैं - क्योंकि उनमें कुछ ऐसी खासियत है जिनकी अरविंद केजरीवाल को फिलहाल सख्त जरूरत है.

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स्वाति मालीवाल राज्य सभा पहुंच कर संजय सिंह की जगह लेंगी, या उनसे भी आगे निकल जाएंगी?
स्वाति मालीवाल राज्य सभा पहुंच कर संजय सिंह की जगह लेंगी, या उनसे भी आगे निकल जाएंगी?

स्वाति मालीवाल और संजय सिंह दोनों ने आम आदमी पार्टी की तरफ से राज्य सभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है. संजय सिंह और एनडी गुप्ता को आम आदमी पार्टी दूसरी बार राज्य सभा भेजने जा रही है. 

एकबारगी तो ऐसा लगता है, जैसे सुशील गुप्ता को ड्रॉप कर स्वाति मालीवाल को राज्य सभा भेजा जा रहा है. असल बात तो ये है कि स्वाति मालीवाल को संजय सिंह की जगह राज्य सभा भेजा जा रहा है. संजय सिंह के जेल जाने के कारण ही स्वाति मालीवाल को ये मौका भी मिल रहा है. संजय सिंह को फिर से राज्य सभा भेजे जाने के पीछे अलग कारण है. 

संजय सिंह को फिर से राज्य सभा भेजा जाना, दरअसल, बीजेपी से जंग में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक बयान है. संजय सिंह को राज्य सभा भेजे जाने को लेकर बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का इल्जाम लगाया है, और उसी इल्जाम को काउंटर करने के लिए संजय सिंह को अरविंद केजरीवाल फिर से राज्य सभा भेज रहे हैं. 

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ये तो अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों को भी यकीन नहीं होगा कि संजय सिंह जेल से कब बाहर आ पाएंगे. नजदीकी भविष्य में वो जेल से छूट पाएंगे, अभी तो संभव नहीं लगता. खासकर तब जबकि कोर्ट ने भी संजय सिंह के खिलाफ लगे आरोपों को गंभीर मान लिया हो. ऐसा समझे जाने की एक बड़ी वजह संजय सिंह की जमानत अर्जी का मनीष सिसोदिया की तरह ही लगातार खारिज होना है. 

अव्वल तो स्वाति मालीवाल से अरविंद केजरीवाल की पहली अपेक्षा तो संसद में संजय सिंह वाली जगह की भरपाई करनी है, अगर वो उनसे भी चार कदम आगे बढ़ जाती हैं तो कहना ही क्या? दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष रहते स्वाति मालीवाल के प्रदर्शन को देखते हुए ये कोई बड़ी बात भी नहीं लगती. 

स्वाति मालीवाल से केजरीवाल को काफी अपेक्षा होगी

राज्य सभा के लिए नामांकन दाखिल करते ही स्वाति मालीवाल ने अपना इरादा जाहिर करने की कोशिश की. स्वाति मालीवाल ने वैसी ही बातें की जैसी अरविंद केजरीवाल की उनसे अपेक्षा भी होगी. लेकिन स्वाति मालीवाल ने जो कुछ कहा, वो तो भविष्य में उनके प्रदर्शन की एक झलक भर है. उनका असली सियासी रंग तो तभी देखने को मिलेगा जब वो संसद पहुंच जाएंगी. 

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नामांकन भरने के बाद स्वाति मालीवाल ने बताया कि वो महिला सुरक्षा के अलावा, बाल विकास और गरीबों से संबंधित मसले भी संसद में उठाएंगी. स्वाति मालीवाल ने अपने पुराने काम का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे 2006 में सुंदर नगर की बस्ती से काम शुरू किया और बीते 17 साल में कई मामलों में बहुत हद तक सफल भी रही हैं. 

स्वाति मालीवाल कह रही हैं, 'अभी तक मैं अपनी मुहिम को लेकर सड़कों पर आवाज उठाती रही हूं... अब मुझे संसद में आधी आबादी की आवाज उठाने का मौका मिलेगा. स्वाति मालीवाल के नामांकन के दिन ही बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था.

देश के सिस्टम से सवाल करते हुए स्वाति मालीवाल ने पूछा, कैसे आज भी  आठ महीने और 85 साल की महिला का रेप हो जाता है? महिला सुरक्षा आज भी अहम मसला है... मेरी कोशिश होगी, एक ऐसी व्यवस्था बने जिसमें रेप के कातिल न बच सकें. बिलकिस बानो केस में स्वाति मालीवाल ने बीजेपी को घेरा है, आखिर अरविंद केजरीवाल भी तो यही चाहते हैं.

देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह आतिशी को मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद दिल्ली में आगे किया है, स्वाति मालीवाल के जरिये वो केंद्र यानी संसद में बीजेपी के खिलाफ संजय सिंह की तरह ही आक्रामक अंदाज देखना चाहते हैं. 

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स्वाति मालीवाल के अरविंद केजरीवाल की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में कोई शक शुबहा तो नहीं होना चाहिये, मुमकिन है स्वाति मालीवाल संसद में संजय सिंह से भी दो कदम आगे नजर आयें. वैसे भी दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष रहते स्वाति मालीवाल काफी एक्टिव और मुखर रही हैं.

जिस तरह से संसद में कई मुद्दों पर बीजेपी महिला सांसदों को आगे कर देती है, आम आदमी पार्टी की तरफ से भी यथाशक्ति काउंटर अटैक का एहतियाती इंतजाम समझ लेना चाहिये. स्वाति मालीवाल का ट्रैक रिकॉर्ड भी यही बताता है कि वो संजय सिंह के मुकाबले कहीं ज्यादा आक्रामक नजर आ सकती हैं. 

ऐसा ही एक उदाहरण संसद में राहुल गांधी के फ्लाइंग किस पर मचे बवाल के दौरान देखा गया था. संसद से बाहर होकर भी स्वाति मालीवाल ने बेहद सख्त लहजे में बीजेपी की महिला सांसदों को जवाब दिया था. तब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं स्वाति मालीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा था, 'हवा में फेंकी हुई एक फ्लाइंग किस से इतनी आग लग गई... दो पंक्ति पीछे एक आदमी बृजभूषण बैठा हुआ था, जिसने ओलंपियन पहलवानों को कमरे में बुलाकर छाती पे हाथ रखा... और यौन शोषण किया... तब आपको उसके किए हुए पर गुस्सा क्यों नहीं आया?'

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केजरीवाल को अभी स्वाति मालीवाल जैसे नेताओं की जरूरत है

स्वाति मालीवाल अपने पिता पर भी बचपन में यौन उत्‍पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं, और ये भी उनके महिला एक्टिविज्म का हिस्सा ही माना जाता है. जमीन पर पहुंच कर वस्तुस्थिति का पता लगाने एम्स पहुंची स्वाति मालीवाल ने अपने साथ हुई घटना के जरिये महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं का नमूना पेश किया ही था.

दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष रहते स्वाति मालीवाल से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जिनमें उनकी खासियत देखी जा सकती है. ये भी देखने को मिला है कि वो खुद चर्चा में रहना जानती हैं, फिर तो आम आदमी पार्टी और साथी नेताओं को भी चर्चा में रखने की कोशिश करेंगी ही - और आने वाले दिनों में अरविंद केजरीवाल को ऐसी चीजों की बहुत ज्यादा जरूरत है.

1. ग्राउंड जीरो से: एम्स की घटना को लेकर स्वाति मालीवाल ने तब बताया था कि जब वो दिल्ली की सड़कों पर महिला सुरक्षा के हालात का जायजा ले रही थीं, तभी नशे में धुत एक कार ड्राइवर उनके पास आया और अपनी कार में उनसे बैठने की जिद करने लगा. स्वाति मालीवाल के मुताबिक, उनके मना करने पर वो आगे भी चला गया था, लेकिन 10 मिनट बाद फिर यू-टर्न लेकर आया. कुछ देर तक उनके साथ चलने के बाद उनके साथ छेड़छाड़ करने लगा और गंदे इशारे भी करने लगा. घटना को लेकर स्वाति मालीवाल ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में बताया था कि जब वो हमलावर को पकड़ने की कोशिश कर रही थीं तो कार का शीशा बंद कर गाड़ी चलाने लगा, और हाथ फंस जाने के कारण स्वाति मालीवाल को गाड़ी के साथ आरोपी करीब 15 मीटर तक घसीटता रहा. 

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2. महिलाओं के मुद्दे पर पति को घेरा: 2018 में स्‍वाति मालीवाल ने अपने पति नवीन जयहिंद के महिलाओं पर दिये गये एक विवादित बयान की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी. हालांकि, दो साल बाद ही फरवरी, 2020 में दोनों ने तलाक लेकर अपने रास्‍ते अलग कर लिए थे.  

3. पिता को भी नहीं बख्शा: अपने पिता पर ही यौन शोषण का आरोप लगाते हुए स्वाति मालीवाल कह चुकी हैं,  'जब मैं बच्ची थी तब मेरे पिता ने मेरा यौन उत्पीड़न किया था... मैं उस समय बहुत छोटी थी... मेरे पिता मुझे मारते थे, और मैं खुद को बचाने के लिए पलंग के नीचे छिप जाती थी.'

आपबीती सुनाते हुए स्वाति मालीवाल कह रही थीं कि उनके पिता चोटी पकड़कर उनकी पिटाई करते थे, जिससे खून भी बहने लगता था, और बोली, 'ये तब तक हुआ जब तक मैं चौथी क्लास में थी.'

स्वाति मालीवाल का कहना था, 'पलंग के नीचे छिपकर मैं सोचती थी... ऐसे पुरुषों को कैसे सबक सिखाऊंगी जो महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं... और मैं महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने में कैसे मदद कर सकती हूं.'

अब स्वाति मालीवाल का मिशन तो पुराना है, लेकिन अब वो नये रास्ते पर आगे बढ़ रही हैं - और नई राह पर चुनौतियां भी नई होंगी. बाकी साथियों की तरह स्वाति मालीवाल को भी अपने नेता अरविंद केजरीवाल के लिए कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना होगा. अरविंद केजरीवाल को ऐसी कुर्बानियां पसंद भी हैं, उनकी राजनीति तो यही बताती है. 
 

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