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पहलगाम हमले पर विपक्ष का सरकार को समर्थन अपनी जगह, असली लड़ाई तो सवालों पर है?

पहलगाम हमले के मुद्दे पर विपक्ष ने पुलवामा की ही तरह केंद्र की बीजेपी सरकार को हर तरह से समर्थन का वादा किया है, लेकिन सैलानियों की सुरक्षा में कमी पर तीखे सवाल भी पूछे हैं - और खास बात ये है कि सरकार ने सुरक्षा में हुई बड़ी चूक की बात स्वीकार भी कर ली है.

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पहलगाम में सैलानियों के कत्लेआम के जिम्मेदार आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देने की विपक्षी नेताओं ने की मांग, सरकार को फुल सपोर्ट का दिया भरोसा.
पहलगाम में सैलानियों के कत्लेआम के जिम्मेदार आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देने की विपक्षी नेताओं ने की मांग, सरकार को फुल सपोर्ट का दिया भरोसा.

पुलवामा हमले के मसले पर केंद्र की बीजेपी सरकार को सभी विपक्षी दलों का फुल सपोर्ट ठीक वैसे ही मिला है, जैसे 2019 में पुलवामा हमले के वक्त देखा गया था. 

लेकिन सुरक्षा इंतजामों में हुई बड़ी चूक का मामला भी सर्वदलीय बैठक में जोर शोर से उठाया गया है. और, खास बात ये है कि सरकार ने भी सुरक्षा में चूक हुई है, ये बात मान ली है. 

ध्यान देने वाली एक बात और हुई है. विपक्ष ने सुरक्षा में हुई चूक के लिए जवाबदेही तय करने की मांग भी की है, ताकि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. याद करें तो पुलवामा हमले में भी सुरक्षा में चूक को लेकर गंभीर सवाल उठाये गये थे. 

ऑल पार्टी मीट में विपक्षी दलों ने कहा कि ये राजनीति का मुद्दा नहीं है, लेकिन आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार यात्रा पर सवाल उठाया है. बैठक में आरजेडी का प्रतिनिधि भी शामिल था. तेजस्वी यादव का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कानपुर का कार्यक्रम तो रद्द कर दिया, लेकिन बिहार का नहीं क्योंकि राज्य में छह महीने बाद चुनाव होने वाले हैं. 

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1. पूरा विपक्ष हर तरह से सरकार के साथ खड़ा है

आम दिनों में बात बात पर एक दूसरे को नीचा दिखाने वाली राजनीति कम से कम पहलगाम हमले के मुद्दे पर नहीं हो रही है - और देश के दुश्मनों के खिलाफ सत्ता पक्ष और विपक्ष एक स्वर में बोल रहा है. 

सर्वदलीय बैठक के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, सभी ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की… विपक्ष ने सरकार को कोई भी कार्रवाई करने के लिए पूरा समर्थन दिया है. राहुल गांधी श्रीनगर जाने वाले हैं. स्थिति का जायजा लेने वो अनंतनाग भी जाएंगे. 

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी विपक्ष के पूरा सपोर्ट मिलने की बात कही, सभी राजनीतिक दलों ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में पाकिस्तान को लेकर लिए गये निर्णय का सर्वसम्मति से समर्थन किया है… सरकार आतंकवाद के खिलाफ भविष्य में जो भी कदम उठाएगी, विपक्षी दलों ने उसे समर्थन देने को कहा है.

सरकार को सपोर्ट करने वालों में AIMIM ने असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं, लेकिन उनका सवाल भी है, ये बहुत अच्छी बात है कि सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन हम पानी कहां रखेंगे? केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी हम उसका समर्थन करेंगे… ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है.

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2. सरकार ने माना, सुरक्षा में चूक हुई है

सपोर्ट तो मिला है, लेकिन सर्वदलीय बैठक में सरकार को विपक्षी दलों के तीखे सवाल भी सुनने पड़े. खासकर सुरक्षा इंतजामों को लेकर.

राहुल गांधी ने पूछा, जहां घटना हुई वहां सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं थे? असदुद्दीन ओवैसी का सवाल था, CRPF को बैसरन ग्राउंड में क्यों नहीं तैनात किया गया? 

क्विक रिस्पांस टीम को वहां पहुंचने में एक घंटा क्यों लगा? इंटेलिजेंस एजेंसियां कहां थीं? ऐसे कई सवाल उठाये गये. 

टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने बैठक के बाद कहा, सुरक्षा चूक पर चर्चा हुई… हमने सरकार को भरोसा दिलाया कि देश के हित में सरकार जो भी फैसला लेगी, सभी राजनीतिक दल उसके साथ खड़े रहेंगे. 

सुरक्षा इंतजामों को लेकर सरकार की तरफ से जो बात बताई गई है, वो भी हैरान करने वाली है. सरकार का कहना है कि लोकस टूर ऑपरेटर्स ने स्थानीय प्रशासन को बताये बगैर ही बुकिंग शुरू कर दी, और 20 अप्रैल से पर्यटकों को ले जाया जाने लगा. 

ये तो हद है. हद की भी हदें पार हो जाती हैं. जम्मू-कश्मीर जैसी जगह जहां तमाम उपायों के बावजूद अब तक आतंकवादी गतिविधियां नहीं थमी हैं, स्थानीय प्रशासन को मालूम ही नहीं होता है कि वहां चल क्या रहा है - वो भी तब जब खुफिया जानकारी पहले ही मिल चुकी होती है कि आतंकवादी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं. 

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3. विपक्ष की मांग, तय हो जवाबदेही

बताया गया है कि अमरनाथ यात्रा के शुरू होने से पहले हर साल जून के महीने में सुरक्षा व्यवस्था की जाती है.

ये तो बहुत ही गंभीर बात है कि टूर ऑपरेटर अपने मन से बुकिंग कर लेते हैं, और स्थानीय प्रशासन की जानकारी के बगैर वो टूरिस्ट स्पॉट भी बाहर से आये लोगों के लिए खोल दिया जाता है - मतलब, सरकारी तौर पर कोई भी स्क्रीनिंग नहीं हो रही है, कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, जिम्मेदार सरकारी अफसरों को पता ही नहीं है. 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह कहते हैं, ये घटना 22 अप्रैल को हुई और 20 अप्रैल को बिना सुरक्षा एजेंसियों की जानकारी के उस जगह को खोल दिया गया… सुरक्षा एजेंसियों को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी… हमने मांग की है कि जवाबदेही तय की जानी चाहिये… और कार्रवाई की जानी चाहिये कि सुरक्षा में चूक क्यों हुई?

4. आतंकवादी कैंप नष्ट करने की मांग

विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की मांग की है.

AAP नेता संजय सिंह का कहना है, पूरा देश गुस्से में है… दुखी है, और देश चाहता है कि सरकार आतंकियों को उनकी भाषा में मुंहतोड़ जवाब दे… जिस तरह से उन्होंने निर्दोष लोगों की हत्या की है, उनके कैंपों को नष्ट किया जाना चाहिए. 

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5. पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की भी डिमांड

सर्वदलीय बैठक के बाद AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से कहा, केंद्र सरकार उस देश के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, जो आतंकवादी समूहों को पनाह देता है… अंतर्राष्ट्रीय कानून हमें पाकिस्तान के खिलाफ आत्मरक्षा में हवाई और नौसैनिक नाकाबंदी करने और हथियारों की बिक्री पर पाकिस्तान पर पाबंदी लगाने की भी अनुमति देता है.

AAP नेता संजय सिंह ने भी ओवैसी की मांग का सपोर्ट किया है, कैंपों को नष्ट किया जाना चाहिये और पाकिस्तान के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिये.

2019 में पुलवामा हमला फरवरी में हुआ था, और चुनाव मई में. चुनाव आते आते पुलवामा के मुद्दे पर राजनीति भी खूब हुई थी. बीजेपी की रैलियों में शहीदों की तस्वीरों पर विपक्ष ने सवाल उठाया तो, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह और उनके साथी नेता राहुल गांधी और बाकी विपक्षी नेताओं को पाकिस्तान परस्त बताने लगे थे - देखना है बिहार चुनाव आते आते राजनीति के कौन कौन से रंग देखने को मिलते हैं.

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