पश्चिम बंगाल के करीब 22 लाख प्रवासी मजदूर अलग अलग राज्यों में काम कर रहे हैं - ये आंकड़ा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही बार बार बता रही हैं. ममता बनर्जी इन प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रही हैं, क्योंकि ममता बनर्जी का आरोप है कि ऐसे लोगों को बीजेपी की सरकार वाले राज्यों में परेशान किया जा रहा है.
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार अब प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमश्री स्कीम लाने जा रही है. एक तरफ तो ममता बनर्जी प्रवासी मजदूरों से पश्चिम बंगाल लौट आने की अपील कर रही हैं, ऐन उसी वक्त उनके कंधे पर बंदूक रखकर बीजेपी को टार्गेट भी कर रही हैं. प्रवासी मजदूरों के साथ बांग्ला बोलने के कारण भेदभाव और पुलिस एक्शन के लिए बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी अपना भाषा आंदोलन तो पहले ही शुरू कर चुकी हैं, धीरे धीरे कई एड-ऑन फीचर भी शामिल करती जा रही हैं.
बंगाली अस्मिता वाली अपनी मुहिम को ममता बनर्जी भाषा आंदोलन के रास्ते सिनेमा हाल तक पहुंचा चुकी हैं. तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में प्राइम टाइम के दौरान एक बंगाली फिल्म दिखाना अनिवार्य कर दिया है. और हर मौके पर बांग्ला में ही बोलने का फैसला ले रखा है. संसद में भी टीएमसी सांसदों ने ममता बनर्जी के आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए बांग्ला में भी भाषण देना शुरू कर दिया है.
श्रमश्री योजना के तहत पश्चिम बंगाल लौटने पर ममता बनर्जी ने प्रवासी मजदूरों को हर महीने 5,000 रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है - और ये मदद 12 महीने तक मिलती रहेगी.
ममता बनर्जी की ये योजना काफी दिलचस्प है. और, ममता बनर्जी की तरफ से अब तक उठाये जा रहे कदमों में काफी बेहतर लगती है - और इसके नतीजे भी काफी फायदेमंद हो सकते हैं.
प्रवासियों के लिए ममता की श्रमश्री योजना में क्या है?
ममता बनर्जी ने प्रवासी मजदूरों से पहले भी लौट आने की अपील की थी. काफी भावनात्मक अपील थी. मदद का भी आश्वासन दिया था, और अब मदद को संस्थागत रूप से परिभाषित कर दिया है. सरकारी मुहर लग गई है - थोड़ा ध्यान से समझने की कोशिश करें, तो आप श्रमश्री योजना को बाकी राज्यों में चुनावों से पहले शुरू की गई सरकारी योजनाओं से तुलना भी कर सकते हैं. जैसे महिलाओं के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर वाली योजनाएं.
ममता बनर्जी श्रमश्री योजना के जरिये भी यही मैसेज देना चाहती हैं कि वो पश्चिम बंगाल के लोगों की मदद के लिए खंभे की तरह उनके पीछे खड़ी हैं. और, ये बताने का भी कोई मौका हाथ से जाने नहीं देतीं कि पश्चिम बंगाल के लोगों की सबसे बड़ी दुश्मन भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता ही हैं. श्रमश्री योजना का ऐलान करते हुए भी ममता बनर्जी ने बीजेपी शासित राज्यों में पहले से प्लान कर हमले किए जाने का आरोप लगाया. ममता बनर्जी ने कहा, करीब 22 लाख प्रवासी मजदूरों... और उनके परिवारों को दूसरे राज्यों में परेशान किया जा रहा है... खासकर, उन राज्यों में जहां डबल-इंजन वाली सरकारें हैं... वे लोग पूर्व नियोजित हमले झेल रहे हैं.
मीडिया से बातचीत में ममता बनर्जी ने श्रमश्री योजना के बारे में बताया कि आर्थिक मदद 12 महीने के लिए होगी, या उनको रोजगार मिलने तक हर महीने 5,000 रुपये मिलते रहेंगे. पश्चिम बंगाल कैबिनेट से श्रमश्री योजना को मंजूरी मिल गई है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के हिसाब से ममता बनर्जी की ये स्कीम फायदा देने वाली तो लगती ही है, लेकिन मदद की पहले से तय की गई अवधि योजना के पीछे की राजनीति की तरफ भी साफ इशारा कर रही है.
श्रमश्री योजना के पीछे की रणनीति क्या है
प्रवासी मजदूरों के साथ हर हाल में खड़े होने का भरोसा दिलाते हुए ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था, मैं शायद आपको पिठा या पायस न खिला पाऊं... अगर हम एक रोटी खाते हैं, तो आपको भी एक रोटी जरूर देंगे... आपको उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र या राजस्थान में रहने के जरूरत नहीं हैं... आप यहां शांति से रह सकते हैं.
अपनी भावनात्मक अपील के साथ ममता बनर्जी ऐसे सभी प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड, हेल्थ कार्ड और रोजगार देने का भी वादा कर चुकी हैं. ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं, हम आपको सोशल सिक्योरिटी देंगे और आपके बच्चों का स्कूलों में एडमिशन भी करवाएंगे. ममता बनर्जी का कहना था, आपके पास बंगाल पुलिस का हेल्पलाइन नंबर है... कोई समस्या हो तो हमसे संपर्क करें... हमें बताएं कि आप कब बंगाल में वापस आना चाहते हैं? हम आपको ट्रेन से सम्मानपूर्वक वापस लाएंगे.
प्रवासी मजदूरों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी के आंदोलन में बड़ा कदम है, लेकिन उसमें बहुत बड़ी राजनीतिक गुंजाइश भी पहले से ही कर ली गई है. डायरेक्ट कैश बेनिफिट वाली सरकारी योजनाओं में किसी तय अवधि की घोषणा नहीं की जाती है. वो तब तक के लिए होती है, जब तक उसे बंद करने का फैसला न लिया जाए. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल बार बार लोगों को आगाह कर रहे थे कि सत्ता में आने पर बीजेपी उनकी सभी स्कीम बंद कर देगी. फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामने आये, और ऐलान किया कि दिल्ली में पहले से चली आ रही कोई भी कल्याणकारी योजना बंद नहीं की जाएगी.
श्रमश्री योजना सिर्फ 12 महीने के लिए बनाई गई है. पश्चिम बंगाल विधानसभा के कार्यकाल की बात करें, तो मई, 2026 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी - मतलब, ये योजना आने वाले विधानसभा चुनाव तक के लिए ही है.
श्रमश्री स्कीम एंटी SIR वैक्सीन कैसे
ये तो पहले ही साफ हो चुका है कि वोटर लिस्ट का SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण बिहार के बाद पूरे देश में होना है. और, ये भी तय है कि ये काम चुनाव से पहले ही होना है. बिहार के बाद देश के जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, पश्चिम बंगाल भी शामिल है.
पश्चिम बंगाल में SIR तो होगा, लेकिन कब होगा इस बात का जवाब चुनाव आयोग भी दे चुका है. हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया, पश्चिम बंगाल में सही समय देखकर एसआईआर कराने निर्णय लिया जाएगा. चुनाव आयोग के मुताबिक, चाहे वो पश्चिम बंगाल हो या देश के अन्य राज्यों में, आने वाले समय में तारीखों की घोषणा की जाएगी.
SIR का सबसे बड़ा नुकसान है कि अगर पैमाइश के दौरान वोटर से संपर्क नहीं हुआ, तो वो वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएगा. बंगाल में ऐसी नौबत आने से पहले ही ममता बनर्जी ने श्रमश्री योजना ला दी है, ताकि उनके वोटर लिस्ट से बाहर होने से बच सकें - वैक्सीन का काम होता तो यही है.