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इंडिया बनाम भारत: बीजेपी का 'भारत कार्ड' कैसे 24 घंटे में मास्टर स्ट्रोक बन गया

इंडिया गठबंधन बनने के बाद विपक्ष सही ट्रैक पर जा रहा था. पर बीजेपी के फेंके गए जाल में हर बार की तरह इस बार भी उलझ कर रहा गया है विपक्ष. इंडिया की जगह भारत अगर किसी जगह लिख ही दिया गया तो इस तरह पहाड़ उठा लेने से जनता की हमदर्दी नहीं मिलने वाली है.

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इंडिया बनाम भारत में फंस गया विपक्ष
इंडिया बनाम भारत में फंस गया विपक्ष

देश के नाम पर बावेला क्यों मचा? हुआ तो सिर्फ इतना ही न कि राष्ट्रपति के नाम पर प्रकाशित एक निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा था. लेकिन, इसे 'इंडिया' के लिए खतरा मानते हुए विपक्ष ने 24 घंटे के दौरान जो जो किया और कहा, वो भाजपा की चाल को मास्टर स्ट्रोक में बदल गया. अब बात बयानों से बढ़कर विरोध प्रदर्शन के स्तर तक पहुंच गई है. बंगाल में टीएमसी ने 'भारत' के विरोध में रैली निकाली है.

बीजेपी ने भारत के नाम का एक जाल बिछाया, और विपक्ष पूरी तरह फंस गया.

अगर विपक्ष के बौखलाहट भरे बयानों को पैमाना माने तो तय है कि बीजेपी ने एक बार फिर मास्टर स्ट्रोक मारा है. पिछले करीब 48 घंटे से लगातार देश में इंडिया बनाम भारत की ही चर्चा हो रही है.विपक्ष के बहुत से वरिष्ठ नेताओं की ओर से जो बयान आएं हैं उनसे यही लगता है कि विपक्ष बौखलाहट में है.हर बार ऐसा ही होता है विपक्ष की गाड़ी ठीक ढंग से चल रही होती है कि उसे फोकस बदलना पड़ जाता है.हर बार यही होता है कि विपक्ष बीजेपी के फेंके गए जाल में बुरी तरह फंस जाता है. इंडिया बनाम भारत के मुद्दे पर गठबंधन के सारे नेता इस तरह हमलावर हुए हैं जैसे उनके एक साथ मिलकर हमला करने बीजेपी बैकफुट पर आ जाएगी. पर विपक्ष को यह सोचना होगा यह मुद्दा ऐसा था ही नहीं कि सारी पार्टियां अपनी पूरी ऊर्जा लगाकर एक साथ बीजेपी पर हमलावर हो जाएं.यह इतना सेंसेटिव मुद्दा है कि विपक्ष जितना इसको लेकर मुखर होगा उतना ही जनता में उसकी भद पिटेगी.और यही हुआ भी है.

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देशभक्ति की क्लास चलवाने वाले केजरीवाल क्या कहेंगे जनता से

 दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सुनिए ‘अगर कुछ पार्टियों का गठबंधन इंडिया बन जाता है, तो क्या वे देश का नाम बदल देंगे? देश 140 करोड़ लोगों का है, किसी पार्टी का नहीं. आइए मान लें कि अगर इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर भारत कर देता है, तो क्या वे भारत का नाम बदलकर बीजेपी कर देंगे? यह कैसा मजाक है? बीजेपी सोच रही है कि उनके वोटों की संख्या कम हो जाएगी इसलिए उन्हें भारत का नाम बदल देना चाहिए.’
अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘ये क्‍या मजाक है. ये देश है. इसका नाम महज इसलिए बदला जा रहा है क्‍योंकि इंडिया अलायंस बन गया. ऐसा करना देश के साथ गद्दारी है.
आम जनता के इमोशन से खेलने में माहिर दिल्ली के सीएम भी ऐसी गलती करेंगे ये समझ में नहीं आया.राष्ट्रभक्ति का नया कोर्स शुरू करने वाले,दिल्ली में जगह-जगह तिरंगा लहराने वाले,कई राज्यों में तिरंग यात्रा निकाल चुके अरविंद केजरीवाल ने जोश में आकर तो यह कह दिया कि भारत नाम करना देश के साथ गद्दारी है. पर जनता के बीच जब जाएंगे तो क्या यही समझाएंगे कि जितनी देशभक्ति इंडिया में है उतनी भारत में नहीं है.

अब जरा देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेता जयराम रमेश की भी सुनिए, ये सीधे इसे संविधान पर हमला बताते हैं. "मोदी इतिहास के साथ छेड़छाड़ और इंडिया को बांटना जारी रख सकते हैं, जो भारत है, जो राज्यों का संघ है. लेकिन हम नहीं रुकेंगे. आख़िरकार 'इंडिया' गठबंधन के घटक दलों का मक़सद क्या है? ये भारत है- ब्रिंग हार्मनी, एमिटी, रिकंसिलिएशन एंड ट्रस्ट. जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया." 

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रमेश बताएंगे कि कोलकाता-मुंबई-चेन्नई का नाम बदलना संविधान पर हमला था

रमेश इतने वरिष्ठ नेता हैं , जानते हैं कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी को इस तरह देशद्रोही साबित नहीं कर पाएंगे. फिर भी कहते हैं कि मोदी इंडिया को बांटने का काम कर रहे हैं. इस हद तक विरोध वाली बयानबाजी दिखाती है कि आप बौखलाहट में बयान दे रहे हैं. कोई इनसे पूछे कि कोलकाता, मुंबई और चेन्नई का नाम क्यों चेंज किया गया ? उस समय आप कहां थे, कनॉट प्लेस का नाम राजीव चौक करने पर विपक्ष ने कभी इस तरह आग लगने वाली भाषा का इस्तेमाल तो नहीं किया था. इतनी सी छोटी बात आप उसे संविधान पर हमला करार देंगे तो वास्तव में जब बीजेपी संविधान पर हमला करेगी तो आज जनता से क्या कहेंगे? कांग्रेस के एक और बड़े नेता हैं अधीर रंजन चौधरी वो कहते हैं कि अगर वे अंग्रेजों के इतने ही खिलाफ हैं तो उन्हें राष्ट्रपति भवन, जो कि वायसराय का घर था उसे भी त्याग देना चाहिए.इस तरह के हास्यास्पद बयान उस पार्टी के नेता दे रहे हैं जिन्होंने देश पर कई दशकों तक रूल किया है. 

जनविरोधी नीतियों और घोटालों की जगह इंडिया क्यों नहीं पर विरोध प्रदर्शन

होना ये चाहिए था कि विपक्ष को अगर ये नहीं पसंद था इसका विरोध जरूर करता पर इस लेवल का विरोध नहीं. विपक्ष यह जानते समझते हुए भी कि बीजेपी की कोशिश उसे ट्रैप करने की है , जानबूझकर फंस गए. विपक्ष की ओर से ऐसे बयान बार-बार आ रहे थे कि इंडिया गठबंधन से बीजेपी बैकफुट पर आ गई है इसलिए वो चालें चल रही है कि जनता का फोकस बदल जाए. इसके बावजूद विपक्ष के नेताओं के जो बयान आएं हैं उससे लगता है यही है कि सब कुछ समझते बूझते भी विपक्ष ट्रैप्ड हुआ है. जब विपक्ष को केंद्र की जनविरोधी नीतियों, महंगाई , बेरोजगारी जैसे मुद्दों को जनता के बीच लाने का मौका आया तो विपक्ष जनता के बीच रैली निकालकर ये समझा रहा है कि आपके देश का नाम ऐतिहासिक क्यों नहीं होना चाहिए ? इंडिया में क्या बुराई है? अब विपक्ष जनता को यह समझाता रहे कि बीजेपी सरकार देश का संविधान बदल देगी जनता क्यों सुनेगी? विपक्ष के सामने हाल ही में सामने आए कई घोटाले हैं जिन्हें मुद्दा बनाना चाहिए था. आयुष्मान कार्ड से भुगतान में धांधली बड़ा मुद्दा बन सकता था पर जब आप जानबूझकर अपने विरोधी के जाल में ट्रैप होंगे तो आपको कौन बचाने आएगा?

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इंडिया गठबंधन पर विपक्ष को फोकस करना चाहिए था पर उसका फोकस एक देश एक चुनाव पर है, भारत बनाम इंडिया पर है. जो ऊर्जा इस समय विपक्ष अपने गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग के मुद्दे सुलझाने और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने में खर्च करनी चाहिए थी वो ऊर्जा आज भारत से बेहतर इंडिया है इस पर खर्च हो रहा है. 

इंडिया शब्द से प्यार दिखाकर क्या हासिल कर लेगा विपक्ष

सबसे अंत में इंडिया शब्द से प्यार दिखाकर विपक्ष साबित क्या करना चाहता है?आखिर जनता के सामने क्या वह बताएंगे कि इस नाम को इसलिए नहीं हटाना चाहिए था क्योंकि इस देश को करीब ढाई सौ साल गुलाम रखने वालों ने इसे दिया था.कनॉट प्लेस का नाम राजीव चौक करने वाले लोग किस मुंह से जनता से यह कहेंगे  कि मोदी सरकार ने देश का नाम इंडिया से हटाकर भारत कर दिया.आजादी के बाद देश का सबसे लोकप्रिय नाम हिंदुस्तान ही रहा है. आज भी हम जब जज्बात में बहते हैं तो हिंदुस्तान ही हमारे मुंह से निकलता है. आखिर आजादी के 75 सालों में हमने हिंदुस्तान के नाम पर कुछ पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के अलावा कुछ नहीं किया. 


 

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