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क्या पाकिस्तान में एशिया कप न खेलकर भारत ने कोई गलती की?

भारत अगर एशिया कप क्रिकेट के मैच पाकिस्तान में जाकर खेलता तो क्या हो जाता? सोशल मीडिया पर यह सवाल बहुत लोग पूछ रहे हैं. पर क्या भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच होना इतना आसान है?

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एशिया कप में भारत-पाक के मैच
एशिया कप में भारत-पाक के मैच

जब भी भारत और पाकिस्तान की सीमाओं से गोली-बारी की खबरें आनी बंद होती हैं, सोशल मीडिया पर भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों को बहाल करने की खबरें आनी शुरू हो जाती हैं. एशिया कप क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच श्रीलंका में खेले जा रहे हैं पर बारिश लगभग हर मैच में विलेन बन जा रही है.

एक बार फिर यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि भारत को पाकिस्तान में खेलने से क्यों ऐतराज है? क्या पाकिस्तान में एशिया कप न खेलकर भारत ने कोई गलती कर दी? सोशल मीडिया पर भारत और पाकिस्तान दोनों ओर के क्रिकेट प्रशंसक लगातार ऐसे सवाल कर रहे हैं. कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि जब पाकिस्तान के साथ भारत अन्य खेलों में शामिल हो रहा है तो फिर क्रिकेट पर ही ग्रहण क्यों लग जाता है?

इसका सिंपल सा जवाब है कि जब दो आस-पास स्थित घरों में किसी बात को लेकर दुश्मनी हो जाती है, तो एक-दूसरे के बीच सब कुछ बंद हो जाता है. नहीं बंद होता है तो दोनों घरों के बच्चों का एक दूसरे के साथ खेलना. यही स्थित है दोनों देशों के बीच संबंधों का. ए ग्रेड के क्रिकेट मैच, दूसरे अन्य खेल जो क्रिकेट जितने लाइम लाइट वाले नहीं हैं, दोनों देशों के बीच चलते रहते हैं. बच्चों के खेल ये उम्मीद जगाते हैं कि दोनों परिवारों में फिर एक दिन दोस्ती का दिन आएगा. भारत-पाकिस्तान के बीच अभी वो दिन नहीं आया है. 
 
आज-कल आए दिन सोशल मीडिया पर दोनों विरोधी क्रिकेट टीमों की दोस्ती के चर्चे आम हैं. दोनों तरफ के क्रिकेटर मैदान पर और मैदान के बाहर भी एक दूसरे के लिए जिस हॉर्मनी का प्रदर्शन करते हैं, वो काबिले तारीफ है. मगर, इस बीच दोनों क्रिकेट टीमों के पुराने प्लेयर्स के ताजे और पुराने विडियो माहौल में जहर भर देते हैं. शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर के कितने ही विडियो ऐसे हैं, जिसे एक बार देख लेंगे तो पाकिस्तान के खिलाफ फिर से आपके मन में जहर भर जाएगा.
 
याद कीजिए एक टॉक शो में शाहिद अफरीदी ने कहा था कि पाकिस्तान दौरे पर जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत आए थे, मैंने उनसे हाथ मिलाते वक्त इतना तेज से दबाया कि वो वहीं कराहते हुए बैठ गए थे. शोएब का एक विडियो सोशल मीडिया में अकसर दिख जाता है, जिसमें वो बताते हैं कि किस तरह सचिन का सर फोड़ने के इरादे से उन्होंने 2 बॉल फेंकी थीं.

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भारत के प्रति इन क्रिकेटरों की नफरत लगातार जारी है. कश्मीर की बात आते ही आज भी पाकिस्तानी क्रिकेटर जज्बाती हो जाते हैं. बहुत से लोग कह सकते हैं कि अगर ऐसा है, तो आईसीसी के हर टूर्नामेंट में क्यों ये सुनिश्चित किया जाता है कि भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में रहें? क्यों ये कोशिश रहती है कि हर टूर्नामेंट में भारत-पाक के बीच अधिक से अधिक मैच कराया जाएं?

अगर भारत और पाकिस्तान के बीच इतना ही सब कुछ खराब है, तो इस तरह से आईसीसी प्लान क्यों नहीं करता कि दोनों टीमें दो ग्रुपों में हों. इस तरह बहुत मालूली चांस ऐसा रहेगा कि दोनों टीमें आमने सामने आएंगी. दोनों के भिड़ने का मौका ही नहीं आएगा. मगर, यहां तो उल्टा ही है.

दोनों टीमों की ओर से यह सवाल नहीं किया जाता कि हमें एक ही ग्रुप में न रखा जाए. भारत को इसलिए यह सवाल करना चाहिए क्योंकि वो पाकिस्तान से खेलना नहीं चाहता है. जबकि पाकिस्तान को यह सवाल करना चाहिए कि जब भारत से खेलना नहीं चाहता है, तो हम भी नहीं खेलेंगे. भारत और पाकिस्तान दोनों को यह कहना चाहिए कि हमारी टीम को दूसरे ग्रुप में रख दो. पर ऐसा नहीं होता है.

सवाल बहुत वाजिब है और उसका जवाब उतना ही आसान है. क्योंकि लक्ष्मी यानि कि अर्थ सबपे भारी हो जाता है. यही नहीं, आईसीसी भारत और पाकिस्तान के मैचों में विज्ञापनदाताओं और प्रसारकों का टीवी पर वॉल्यूम भी बढ़ा दिया जाता है, जिससे अधिक से अधिक कमाई हो सके.

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दरअसल, दुनिया में केवल अर्थ ही एक चीज ऐसी है, जो भविष्य में शांति की स्थापना का बहुत बड़ा कारक बनने वाली है. तीर से न तलवार से, दुनिया में शांति आएगी तो बस लक्ष्मी के आशीर्वाद से. सोशल मीडिया पर फॉलोअर और इससे होने वाली कमाई का ही कारण है कि दोनों तरफ के खिलाड़ियों के मुंह से आग की जगह फूल बरसते हैं.

भारत और पाकिस्तान के नजदीक आने का कारण भी एक दिन लक्ष्मी ही बनने वाली हैं. वह दिन दूर नहीं है, जब पाकिस्तान का कश्मीर राग पुराने दिनों की बात हो जाएगी.

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