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अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी, कांग्रेस सरकार की कार्रवाई से प्रियंका गांधी के पहले भाषण का बंटाधार | Opinion

प्रियंका गांधी की लोकसभा में पहली स्पीच थी. ऐसे मौके पर अल्लू अर्जुन जैसे सुपर सितारे की गिरफ्तारी करवा कर तेलंगाना सरकान ने अपने महत्वूर्ण नेता की स्पीच पर पर ग्रहण लगा दिया.

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प्रियंका गांधी ने आज लोकसभा में अपनी पहली स्पीच दी
प्रियंका गांधी ने आज लोकसभा में अपनी पहली स्पीच दी

जो लोग भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली से वाकिफ होंगे, उन्हें यह बात कुछ अजीब नहीं लगेगी. आजकल छोटे से छोटे दलों में भी कार्यक्रमों और आयोजनों को जनता के बीच चर्चा शुरू कराने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की जाती है. पर कांग्रेस इस देश की सबसे पुरानी पार्टी है पर उसकी कार्यशैली और सोच का तरीका भी इतना पुराना होगा, यह समझ में नहीं आता. सोचिए कि कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी की आज लोकसभा में पहली स्पीच थी. खुद गांधी फैमिली सपरिवार लोकसभा की दर्शक दीर्घा में प्रियंका गांधी का भाषण सुनने को मौजूद थी. प्रियंका का भाषण भी संविधान पर होने वाली एतिहासिक बहस का हिस्सा था. मतलब सब कुछ महत्वपूर्ण था. शायद यही कारण था कि विपक्ष की ओर से उन्हें सबसे पहले बोलने का मौका मिला था. पर कांग्रेस की आधी अधूरी तैयारियों और कांग्रेस सरकारों और संगठन के बीच आपसी तालमेल के अभाव ने प्रियंका के भाषण का बंटाधार कर दिया.आइये देखते हैं कि किस तरह यह गलती कांग्रेस संगठन से हुई.

1- प्रियंका का भाषण शुरू होने के पहले ही खबर आती है कि अल्लू अर्जुन गिरफ्तार कर लिए गए

संविधान पर लोकसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का स्पीच समाप्त होते ही प्रियंका गांधी को बोलना था. टीवी स्क्रीन पर सभी चैनल लगातार यह दिखा रहे थे कि बस थोड़ी ही देर में प्रियंका की स्पीच शुरू होने वाली है. प्रियंका भाषण शुरू होने वाला था कि ब्रेकिंग न्यूज चलने लगती है कि पुष्पा 2 एक्टर अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया गया है. हिंदी चैनल वाले तो थोड़ी देर में प्रियंका गांधी का स्पीच दिखाने लगे पर इंग्लिश चैनलों के लिए तो अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी ही सबसे बड़ी खबर थी. हैरानी की बात ये है कि ये गिरफ्तारी तेलंगाना की पुलिस करती है जहां कांग्रेस की सरकार है. कल्पना करिए कि अगर ये गिरफ्तारी किसी बीजेपी सरकार वाली स्टेट की पुलिस ने की होती तो कांग्रेस के हैंडलर ये बात लिखते कि बीजेपी ने प्रियंका की मेडन स्पीच आम लोगों तक न पहुंचे इसलिए ऐसा किया. आरोप लगते कि जानबूझकर अल्लू अर्जुन जैसे लोकप्रिय एक्टर की गिरफ्तारी का समय ठीक उसी समय को चुना जब प्रियंका का भाषण होने वाला था. सोचने वाली बात यह है कि क्या इतने बड़े स्टार को गिरफ्तार करने से पहले स्थानीय पुलिस ने सीएम कार्यालय से परमिशन नहीं लिया होगा. ऐसा हो नहीं सकता कि इतने लोकप्रिय कलाकार की गिरफ्तारी बिना सरकार की परमिशन के हुआ हो. अगर ऐसा नहीं है तो यह और भी शोचनीय विषय है . क्योंकि सरकार की अगर अपनी पुलिस पर इतना भी नियंत्रण नहीं है तो उसे शासन करने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए. जाहिर है कि तेलंगाना के सीएम ने थोड़ी भी दूरदर्शित होती तो इस गिरफ्तारी को कुछ घंटे या दिन के लिए टाल सकते थे. कल्पना करिए कि क्या पीएम मोदी की किसी महत्वपूर्ण स्पीच पर कोई बीजेीप शासित राज्य सरकार इस तरह की हरकत कर सकता है.

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2- प्रियंका के भाषण का माइलेज लेने से चूक गई कांग्रेस

जाहिर है कि आज टीवी चैनलों पर लगातार अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी , फिर लोकल कोर्ट का 14 दिन का रिमांड देना फिर हाईकोर्ट से बेल मिलना ही पूरे दिन टीवी पर चलता रहा. तमाम बहस और चैट शो भी अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी पर केंद्रित हो गए. जबकि आज टीवी पर प्रियंका के भाषण की ही चर्चा होती. प्रियंका ने अपने भाई राहुल गांधी के मुकाबले कहीं बहुत शानदार तरीके से अपनी बात कही. उनके चेहरे पर बोलते हुए राहुल वाली नर्वसनेस नहीं थी. वो चिल मूड में थी, उनके चेहरे पर मुस्कुराहट भी थी. उनकी बातों में तंज भी था और मौके पर हमले का भी अंदाज भी था. उन्होंने अपने पहले ही भाषण में ये दिखा दिया कि वो भविष्य में सत्ता पक्ष को घेरने में कामयाब होंगी.

इमरजेंसी के दौरान का एक किस्सा बहुत मशहूर है कि दिल्ली के रामलीला मैदान में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की रैली होने वाली थी. लोकनायक की स्पीच देखने लोग न पहुंचे इसके लिए दूरदर्शन ने उस दौर की सबसे हिट फिल्म बॉबी का प्रसारण करवा दिया. हालांकि इसके बाद भी लोकनायक की स्पीच सुनने भारी संख्या में लोग पहुंचे. पर यह पहली बार हुआ होगा कि कांग्रेस सरकार ने अपने नेता का भाषण लोगों तक पहुंच सके इसके लिए एक बड़े कलाकार की गिरफ्तारी को टलवा नहीं सकी.

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3- इसके पहले तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने दलजीत दोसांझ के कंसर्ट में वो गलती की थी जो किसी बीजेपी सरकार से उम्मीद थी 

हालांकि इस तरह की अदूरर्शिता रेवंत रेड्डी सरकार लगातार कर रही है.पर कांग्रेस पार्टी का ध्यान शायद उनकी इन गलतियों पर नहीं है. अभी कुछ दिनों पहले तेलंगाना में पंजाबी सिंगर दलजीत दोसांझ का कंसर्ट था. तेलंगाना सरकार ने उनके शो पर ऐसे बंधन लगाए जो किसी बीजेपी सरकार के ही बंधन हो सकते थे. नैतिकता के पहरेदार तो बीजेपी बनती रही है पर तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने दारू और अश्लीलता न फैल सके इसके लिए दलजीत के शो के लिए गाइडलाइंस जारी किए. जबकि देखा जाए तो दलजीत दोसांझ कांग्रेस कैंप का ही आदमी है. किसान आंदोलन के समर्थन से लेकर बीजेपी नेताओं को दोसांझ टार्गेट करते रहे हैं. इसे देखते हुए उन्हें एक कांग्रेस सरकार से ये उम्मीद नहीं रही होगी कि उनके कंसर्ट को लेकर रेवंत सरकार इतने प्रतिबंध लगाएगी. जबकि बीजेपी सरकार वाले राज्यों में दलजीत के कंसर्ट को लेकर कोई कंट्रोवर्सी कम से कम सरकारी लेवल पर तो नहीं ही हुई. अडानी मामले में भी रेवंत रेड्डी अपने नेता राहुल गांधी को शर्मिंद कर चुके हैं.

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