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विभाजन 20वीं सदी की सबसे दुखद घटनाओं में से एक; इतिहास से सीख लेने की जरूरत... बोले CM मोहन यादव

MP News: भोपाल में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि इजरायल के लोगों को अपनी मातृभूमि को वापस पाने के लिए 2 हजार साल तक संघर्ष करना पड़ा. 

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विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर बोले CM मोहन यादव.
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर बोले CM मोहन यादव.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भारत के विभाजन को 20वीं सदी की सबसे दुखद घटनाओं में से एक बताया. कहा कि किसी देश को आगे बढ़ने और आगे बढ़ने के लिए इतिहास से सीखने की जरूरत है. 

भोपाल में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि इजरायल के लोगों को अपनी मातृभूमि को वापस पाने के लिए 2,000 साल तक संघर्ष करना पड़ा. 

CM ने कहा, भारत का विभाजन पिछली सदी की सबसे दुखद घटनाओं में से एक थी, जिसे शब्दों में बयां भी नहीं किया जा सकता. लोग विभाजन के दर्द के बारे में बात नहीं करना चाहते, लेकिन अगर किसी देश को आगे बढ़ना है और आगे बढ़ना है, तो उसे इतिहास की सीमाओं से सबक लेना होगा. 

यादव ने कहा, इजराइल के लोगों ने अपनी भूमि और राष्ट्र खो दिया और इसे वापस पाने में उन्हें 2,000 साल लग गए. लेकिन उन्होंने देशभक्ति दिखाई. दुनिया भर में फैले (इजराइल के) लोग साल में एक बार एक जगह इकट्ठा होते थे और शपथ लेते थे कि वे अगले साल अपने देश में मिलेंगे. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा होने में 2,000 साल लग गए. 

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उन्होंने कहा कि भारत के साथ-साथ इजरायल को भी आजादी मिलने के कारण इस प्रक्रिया में कई पीढ़ियां खत्म हो गईं. CM ने कहा,  मैंने यह उदाहरण इसलिए दिया ताकि आप आजादी की गंभीरता को समझ सकें. 

यादव ने कहा कि भारतीय आसानी से सभी के साथ घुलमिल जाते हैं, लेकिन चतुर लोग अपनी चालाकी से उन्हें फंसा लेते हैं. उन्होंने कहा कि बारहवीं सदी के शासक पृथ्वीराज चौहान ने आक्रमणकारियों को 17 बार क्षमादान दिया, लेकिन आक्रमणकारियों को केवल एक ही मौका मिला और उन्होंने इसे नहीं गंवाया. 

उन्होंने कहा,  अंग्रेज भारत में व्यापार के लिए आए थे, लेकिन उन्होंने अपनी सेना खड़ी कर ली और विभिन्न राज्यों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. जिन्हें हम आज कलेक्टर के रूप में जानते हैं, वे ही अंग्रेजों के लिए राजस्व एकत्र करते थे. 

1857 के बाद अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करना शुरू कर दिया. हालांकि, 1906 तक उनकी यह रणनीति विफल रही. जब मुस्लिम लीग ने चुनाव लड़ा तो देशभक्त मुसलमानों ने अंग्रेजों की इस साजिश को सफल नहीं होने दिया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी राजनीति बदली, जिसके कारण मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति की जीत हुई और देश का विभाजन हुआ.

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