
मध्य प्रदेश में नई सरकार अब करीब एक महीने पुरानी हो गई है. 13 दिसंबर को मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मोहन के सत्ता संभालते ही यह साफ था कि लोकसभा चुनाव में अब अधिक समय नहीं बचा है. ऐसे में सरकार के लिए तुरंत एक्शन और एग्जीक्यूशन की चुनौती होगी. मोहन सरकार शुरुआती करीब एक महीने के सफर में ही इसी ट्रैक पर चलती नजर आ रही है. मोहन सरकार ने इस तरह से काम किया है कि मोदी का विजन और लोकसभा इलेक्शन, दोनों को साधा जा सके.
1. प्रदेश के चार संभाग मुख्यालय में होगी कैबिनेट बैठक
चार संभाग के मुख्यालयों पर मोहन कैबिनेट की बैठक होगी. महाकौशल के जबलपुर में एक कैबिनेट हो भी चुकी है. बाकी तीन कैबिनेट मीटिंग मालवा-निमाड़ क्षेत्र के उज्जैन, ग्वालियर-चम्बल के ग्वालियर और विंध्य क्षेत्र के रीवा में होनी है. उज्जैन मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृह क्षेत्र भी है. अब अलग-अलग संभाग में कैबिनेट मीटिंग के जरिए सरकार की रणनीति यह संदेश देने की है कि हम हर क्षेत्र को समान रूप से तरजीह दे रहे हैं. सूबे के किसी भी अंचल की उपेक्षा नहीं की जाएगी. सरकार ने इस कदम के साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में करने की, अपने पाले में बनाए रखने की कवायद जारी रहेगी.
2. हिंदुत्व पर फोकसः प्रदेश के चार धार्मिक स्थलों पर होगी कैबिनेट बैठक
मोहन सरकार गठन के बाद से ही लगातार हिंदुत्व पर फोकस कर चल रही है. 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है और उससे पहले यह संभावना है कि मोहन कैबिनेट की एक मीटिंग चित्रकूट में हो सकती है. चित्रकूट का भगवान राम से भी कनेक्शन है और मध्य प्रदेश सरकार राम वन गमन पथ का निर्माण करा रही है.

मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के सतना जिले में स्थित चित्रकूट सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व रखता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के 14 में से 11 साल चित्रकूट मे बिताए थे. कैबिनेट की एक बैठक 14 जनवरी को उज्जैन में होनी है. उज्जैन के बाद ओरछा और मैहर में कैबिनेट बैठक की तैयारी है. मध्य प्रदेश के धार्मिक स्थलों में सीएम की कैबिनेट बैठक से हिंदुत्व को लेकर सरकार का मैसेज बहुत क्लियर है.
3. लाउड स्पीकर की आवाज धीमी, खुले में अंडे-मांस की बिक्री पर रोक
मोहन सरकार ने अपने पहले ही फैसले में लाउड स्पीकर की तेज आवाज पर लगाम लगा दी. धार्मिक स्थलों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लाउड स्पीकर की आवाज निर्धारित डेसिबल के अंदर रखनी होगी. इसके साथ ही सरकार ने खुले में अंडे और मांस की बिक्री पर भी रोक लगा दी है. यह दोनों फैसले हिंदुत्व के मुद्दे पर मोहन सरकार का लाउड मैसेज बताए जा रहे हैं.

4. विक्रम संवत को मप्र के सरकारी कैलेंडर से जोड़ा
मोहन सरकार ने कमान संभालने के बाद पहले ही महीने में ताबड़तोड़ फैसले लिए और एक तरह से यह संदेश भी दे दिया कि हिंदुत्व पर ही सरकार का फोकस रहने वाला है. करीब 66 साल के बाद मध्य प्रदेश के सरकारी कैलेंडर से विक्रम संवत को जोड़ दिया गया है. अब माह के नाम विक्रम संवत के अनुसार लिखे जाएंगे.यह कैलेंडर सभी सरकारी विभागों में जाएगा. गौरतलब है कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तिथि और मुहूर्त भी विक्रम संवत वाले कैलेंडर से ही निर्धारित किया गया है.
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4. प्रदेश के राजस्व नक्शे में बदलाव का फैसला
मोहन सरकार ने संभाग और जिलों की सीमा का निर्धारण भी नए सिरे से कराने का ऐलान किया है. इससे प्रदेश का राजस्व नक्शा भी बदल जाएगा. दरअसल, समस्या यह थी कि कई कस्बे और गांव थे किसी और शहर या जिला मुख्यालय के करीब लेकिन उनका जिला मुख्यालय कहीं और था जहां की दूरी अधिक थी. इसकी वजह से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता था. जैसे पूर्व सीएम शिवराज का क्षेत्र बुधनी और मंडीदीप जैसे कस्बे हैं तो भोपाल के करीब लेकिन उनका जिला मुख्यालय सीहोर है जिसकी दूरी इन जगहों से लगभग 70 किलोमीटर है. जिला मुख्यालय पास होने से लोगों के लिए आवागमन सुविधाजनक होगा और समय भी कम लगेगा.

5. जमीन की रजिस्ट्री के साथ नामांतरण
लोग जमीन खरीद तो लेते हैं लेकिन नामांतरण बड़ी चुनौती बन जाता है. नामांतरण के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़ते हैं. इसमें बहुत भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं. मोहन सरकार ने इसे लेकर भी बड़ा फैसला लिया है. अब रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी हो जाएगा. इससे आम जनता को राहत मिलेगी. आम जनता से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार ने अब फोकस किया है. अपना घर, अपनी जमीन एक आम नागरिक का सबसे बड़ा सपना होता है. इसमें भ्रष्टाचार से लोगों की पूरी जिंदगी की कमाई संकट में पड़ जाती है. इसे दुरुस्त करने से आमजन को बहुत सुविधा हो जाएगी.
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6. गुना बस हादसे के बाद अधिकारियों पर एक्शन
मध्य प्रदेश के गुना में बड़ा बस हादसा हुआ था. इस हादसे के बाद मोहन सरकार तत्काल एक्शन में आई. बस हादसे के बाद लापरवाही बरतने के आरोप में प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त, कलेक्टर, एसपी के साथ ही आरटीओ पर भी कार्रवाई की और इन्हें तत्काल हटा दिया गया. इस तरह की कार्रवाई के जरिए मोहन सरकार ने अधिकारियों को सख्त संदेश दिया ही, आम लोगों के बीच 'गवर्नमेंट ऑफ एक्शन' की इमेज बनाने की भी कोशिश की है.
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7. ड्राइवर से अभद्रता पर शाजापुर के कलेक्टर को हटाया
मोहन सरकार ने आईएएस अधिकारियों के थोक में तबादले किए ही, ट्रक चालकों की हड़ताल के दौरान ड्राइवर से आपत्तिजनक भाषा में बात करने पर शाजापुर के कलेक्टर किशोर कान्याल को भी पद से हटा दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस गरीब वर्ग पर है. ऐसे में शाजापुर के डीएम को हटाकर मोहन सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि गरीबों के साथ बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, उनका खयाल रखा जाएगा. इस एक एक्शन से सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को भी साफ संदेश दे दिया है कि निजाम बदल चुका है. आम जनता के साथ व्यवहार के तौर-तरीके भी बदले जाएं. सरकार की रणनीति आम जनता को भी यह संदेश देने की है कि लापरवाही पर अफसरों को भी नहीं बख्शा जाएगा और उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा.