मध्य प्रदेश के IAS अफसर संतोष वर्मा अपने एक विवादास्पद बयान के कारण विवादों में घिर गए हैं. उनके इस बयान पर अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसके बाद वर्मा ने खेद व्यक्त किया है. हालांकि, इस नए विवाद ने उनके पुराने आपराधिक मामलों और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोपों को एक बार फिर से सतह पर ला दिया है.
दरअसल, एमपी सरकार के अफसर संतोष वर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है. राज्य सेवा के अधिकारी से IAS पद पर प्रमोशन पाने के दौरान उन पर गंभीर आरोप लगे थे, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.
साल 2021 में आईएएस पद पर प्रमोशन के लिए उन्होंने दो जाली दस्तावेज तैयार कर इंदौर कोर्ट में लगाए थे. एक दस्तावेज में बरी होने और दूसरे में दोनों पक्षों के बीच समझौते की बात कही गई थी. जिस जज का नाम इस्तेमाल किया गया था, उन्होंने ही एमजी रोड थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी.
पुलिस ने 2021 में उन्हें गिरफ्तार किया था. इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया है और मामला विचाराधीन है. साल 2016 में भी संतोष वर्मा पर इंदौर के लसूड़िया थाने में एक महिला ने केस दर्ज कराया था.
बता दें कि अजाक्स (मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ) के नवनियुक्त प्रांताध्यक्ष आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने भोपाल में आयोजित अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में भाषण देते समय विवादित टिप्पणी करते हुए कहा, "आरक्षण तब तक देना चाहिए जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता." देखें Video:-
यह वीडियो वायरल होने के बाद अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने इसे 'ब्राह्मण वर्ग के साथ खिलवाड़ और अमर्यादित' बताते हुए कड़ी निंदा की. 'आजतक' से बात करते हुए IAS संतोष वर्मा ने अपने बयान पर खेद जताया और माफी मांगी.
बयान देकर IAS संतोष वर्मा घिरे, माफी मांगी
IAS वर्मा ने कहा, "मेरे बयान से किसी को खेद पहुंचा हो, मैं माफ़ी मांगता हूं... आरक्षण और सामाजिक समरसता के संबंध की बात चल रही थी. मेरा ये मानना है कि जब अन्य समाजों की तरफ से रोटी-बेटी व्यवहार शुरू हो जाएगा तो आरक्षण की बात करनी नहीं पड़ेगी. इसी बीच में मैंने बेटियों के कन्यादान की बात कही थी... मेरे वक्तव्य का मतलब कोई विचार नहीं था, अगर किसी को मेरी बात से ठेस पहुंचा है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं."