मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले के बाद प्रशासन ने कार्रवाई तेज कर दी है. ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट में सात आयुर्वेदिक दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं. इसके बाद आयुष विभाग ने इन दवाओं के उपयोग और बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी है.
जिला आयुष अधिकारी ने गिलोय सत्व, कासामृत सिरप, कामदुधा रस, प्रवाल पिष्टी, मुक्ताशक्ति भस्म, लक्ष्मी विलास रास और कफकुठार रास के संबंधित बैचों को अमानक घोषित किया है. विभाग ने सभी मेडिकल स्टोर्स को निर्देश दिया है कि वे इन दवाओं को तुरंत बिक्री से हटाएं और उपलब्ध स्टॉक निर्माण कंपनियों को वापस करें.
सात आयुर्वेदिक दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं
यह कार्रवाई उस स्वास्थ्य संकट के बाद की गई है जिसमें जहरीले कफ सिरप के सेवन से जिले में 22 बच्चों की मौत हो चुकी है. घटना के बाद प्रशासन ने एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दोनों तरह की दवाओं के सैंपल लेकर जांच कराई थी. 30 अक्टूबर को बिछुआ में पांच माह की बच्ची की मौत के बाद मामला सामने आया था.
परिजनों का आरोप था कि मेडिकल स्टोर से मिली आयुर्वेदिक दवा कासामृत और दो पुड़ियों के सेवन के बाद बच्ची की हालत बिगड़ी. इसी आधार पर सैंपल लेकर ग्वालियर भेजे गए थे. जिला आयुष अधिकारी डॉ प्रमिला यावतकार ने बताया कि कासामृत सिरप का बैच स्टैंडर्ड क्वालिटी में पाया गया. लेकिन पुड़िया का सैंपल बहुत कम होने के कारण जांच नहीं हो सकी.
पांच माह की बच्ची की मौत के बाद मामला सामने आया था
सत्य कथन के आधार पर जिन दवाओं से पुड़िया बनाई गई थी, उन पैक्ड सैंपलों को जांच के लिए भेजा गया. इनमें सात दवाएं अमानक पाई गईं. आयुष विभाग ने सभी औषधि दुकानों को निर्देश दिया है कि वे अमानक दवाओं की खरीद-बिक्री रोकें और इन्हें वापस करें. विभाग ने इसकी जानकारी वरिष्ठ कार्यालय को भी भेज दी है.