साहित्य आजतक के सत्र ‘पधारो म्हारे देश: राजस्थानी साहित्य उत्सव’ में कवि-संपादक त्रिभुवन और लेखिका-कवि रीना मेनारिया ने राजस्थानी साहित्य, उसके स्वरुप और उसकी वर्तमान स्थिति पर विस्तार से बात रखी. कवि त्रिभुवन ने बताया कि राजस्थानी भाषा का उपेक्षा की जा रही है, जिसके कारण अभी तक इसे मान्यता नहीं मिल सकी है. त्रिभुवन ने कहा कि राजस्थानी साहित्य का जो पाठक है वो काफी विस्तृत है, कम नहीं है. राजस्थानी काव्य में एक खूबी ये भी है कि यहां वीर रस के साथ श्रृंगार रस को भी जोड़ा गया है. जबकि बाकी साहित्यों में ये खूबी नहीं मिलती है. वीडियो देखें.