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‘तिनका तिनका तिहाड़’ लिम्का बुक में

वर्तिका नन्दा और विमला मेहरा की किताब ‘तिनका तिनका तिहाड़’ को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. 2013 में राजकमल प्रकाशन से हिंदी और अंग्रेजी में छपी यह किताब शुरू से ही चर्चा में रही है.

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Tinka Tinka Tihar
Tinka Tinka Tihar

वर्तिका नन्दा और विमला मेहरा की किताब ‘तिनका तिनका तिहाड़’ को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. 2013 में राजकमल प्रकाशन से हिंदी और अंग्रेजी में छपी यह किताब शुरू से ही चर्चा में रही है. यह दुनिया में एक अनूठा प्रयास रहा, जिसमें तिहाड़ जेल की महिला कारागार नंबर 6 में कैद महिला कैदियों को कविता लेखन के लिए प्रेरित किया गया और बाद में चार महिला कैदियों ( रमा चौहान, सीमा रघुवंशी, रिया शर्मा और आरती) की कविताओं का संकलन छापा गया.

इस किताब में छपी सभी रंगीन तस्वीरें कैदियों ने खुद ली हैं. एक विशेष अनुमति के बाद उन्हें कुछ घंटों के लिए एक कैमरा दिया गया था, जिससे वे अपनी जिंदगी की तस्वीरें खुद लें. इस किताब को छापा भी अलग ढंग से गया है. किताब को खोलने पर शब्द नहीं, सिर्फ तस्वीरें दिखाई देती हैं मानो यह तस्वीरों की किताब है. दरअसल सारे पन्ने एक-दूसरे के साथ जोड़े गए हैं. उन्हें अलग करने पर ही मिलती है- कविता.

इस किताब और गाने के साथ लगातार कई प्रयोग किए गए हैं. वर्तिका नन्दा और विमला मेहरा ने पत्रकारिता और जनसंचार के विविध माध्यमों से अपराध की तरफ ध्यान दिलाने की कोशिश की है. उनका और विमला मेहरा का लिखा गाना- ‘तिनका तिनका तिहाड़…’ तिहाड़ जेल की पहचान बन चुका है.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपनी पुस्तक ‘तिनका तिनका तिहाड़’ शामिल होने पर खुशी जाहिर करते हुए डॉ. वर्तिका नंदा कहती है, 'औरत की छुट्टी और आंसू को हल्के में नहीं लेना चाहिए. संभव है सामाजिक दृष्टि से यह तिनका ही नजर आए, लेकिन ध्यान रहे इन तिनकों को भी बहुत कुछ कहना होता है. इस संदर्भ को ध्यान में रखकर तिहाड़ में बंद महिलाओं पर हमने सफल प्रयोग किए. इस तरह के प्रयोग आगे भी जारी रहेंगे.'

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वहीं, दूसरी तरफ विमला मेहरा ने भी अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, ‘तिहाड़ जेल में हमलोगों ने महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से एक अनोखा प्रयोग किया था. इस प्रयोग से जेल में बंद महिलाओं की सृजनशीलता को बाहर लाने में सफल रहे. इससे उनका आत्मबल बढ़ा, उनकी प्रतिभा को नई पहचान मिली. इस तरह के प्रयोग होते रहने चाहिए.’

इस उपलब्धि पर राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने पुस्तक के दोनों संपादकों को शुभकामना देते हुए कहा कि, 'इस तरह के नवप्रयोगों को हमारा प्रकाशन समूह हमेशा से स्थान देता रहा है और आगे भी देता रहेगा. इस किताब में जिन चार महिला कैदियों ने अपनी सृजनात्मक क्षमताओं को उड़ान दी है, उसे हम बढ़ावा देना चाहते थे. अब समाज को सोचना है कि कैद में रह रही इन सृजनशील महिलाओं की मदद कैसे की जा सकती है.'

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