नामवर सिंह हिंदी साहित्य जगत का सम्मानित नाम हैं. उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई ऊंचाई दी है. नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था. उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है.
नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की. इसके बाद इसी विश्वविद्यालय में पढ़ाया भी. वे कई साल तक एक प्रोफेसर के तौर पर सेवाएं देते रहे. उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें चर्चित हैं.
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आलोचना में उनकी किताबें पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद आदि मशहूर हैं. उनका साक्षात्कार 'कहना न होगा' भी साहित्य जगत में लोकप्रिय है.
नामवर सिंह ने सागर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का काम किया, लेकिन यदि सबसे लंबे समय तक रहने की बात करें तो वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल में रहे. यहां से रिटायर होने के बाद वे एमिरिटेस प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाते रहे.