इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 16 नवंबर को अपने आगाज के साथ ही साहित्य के सितारों का महाकुंभ राजधानी दिल्ली को सुर, कला, साहित्य और संस्कृति की चाशनी से भिगो देगा. इस दिन 1 बजे सरस्वती वंदना के साथ ‘साहित्य आजतक’ की शुरुआत होगी. उद्घाटन की औपचारिकता के तुरंत बाद से साहित्य और सुर की गंगा बहनी शुरू हो जाएगी.
पहला कार्यक्रम ही गायक जावेद अली का है.. . टिंकू जिया, तू ही हकीकत, कजरारे-कजरारे, नगाड़ा-नगाड़ा से लेकर जश्न- ए- बहारा जैसे गानों से अपनी छाप छोड़ने वाले जावेद अली 'सूफी संगीत' में अपने सुर छेड़ेंगे, तो ’साहित्य आजतक’ के थिएटर प्रेमी दर्शक इसी दिन रंगमंच पर सबसे लंबे समय तक चलने वाले व्यंग्य नाटक 'ग़ालिब इन देल्ही' को भी देख सकेंगे. 1997 से चले आ रहे इस नाटक के अब तक साढ़े चार सौ से भी अधिक शो हो चुके हैं, और हर शो हाउसफुल रहा है.
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पीयूष मिश्रा भी होंगे मुखातिब
संगीत रसिकों के लिए इस दिन के अन्य आकर्षण के रूप में 'लोक संगीत' के तहत मालिनी अवस्थी का गायन होगा. इसी दिन अभिनेता और कवि पीयूष मिश्रा 'कुछ इश्क किया कुछ काम किया' कार्यक्रम में अपने प्रशंसकों से मुखातिब होंगे, और शाम कव्वाली और भजन में डूबी होगी, पर सुरों की इस चर्चा से पहले आखरों की बात कर लेते हैं.
शब्द साहित्य की बात करें तो इस दिन हिंदी साहित्य और उर्दू अदब की तमाम बड़ी हस्तियां अलग-अलग कार्यक्रमों में मौजूद रहेंगी. जिनके विचारों को सुनना एक अलहदा अनुभव होगा. इस दिन दो बजे सरस्वती सम्मान से नवाजे गए उर्दू ज़बान व अदब के नामवर आलोचक शम्सुर्रहमान फारूकी और प्रेम कुमार नज़र 'दस्तक दरबार' हॉल में अहमद महफूज के साथ चर्चा करेंगे, तो 'साहित्य का राष्ट्र धर्म' विषय पर प्रख्यात हिंदी लेखक नंद किशोर पाण्डेय, ममता कालिया और अखिलेश के बीच चर्चा होगी.
'कविता के बहाने' सत्र में हमारे दौर के महत्वपूर्ण कवि मदन कश्यप, अरुण देव और तेजिंदर सिंह लूथरा की कविताओं को सुनना और उनके रचनाकर्म को समझना काव्य-प्रेमियों के लिए किसी खास अवसर से कम नहीं.
इसी दिन 'कलम आजाद है तेरी' सत्र में कथाकार इंदिरा दांगी, नीलिमा चौहान और शर्मिला बोहरा जालान महिला लेखन से जुड़े सवालों और मसलों पर अपने मत रखेंगी, तो 'टेढ़ी बात' सत्र हमारे दौर के चर्चित व्यंग्यकारों के नाम होगा. इस कार्यक्रम में आलोक पुराणिक, ज्ञान चतुर्वेदी और प्रेम जनमेजय जैसे बहुचर्चित व्यंग्यकार हिस्सा लेंगे.
इसी दिन ‘क्या खो गई हैं किताबें इस इंटरनेट के दौर में’विषय पर चर्चा के लिए दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेजों से जुड़े लोग अपने विचार रखेंगे, जिनमें गार्गी कॉलेज से वर्णिका मिश्रा, जीसस & मैरी कॉलेज से दिव्यांशी भारद्वाज, हंसराज कॉलेज से प्रशांत चौधरी, हिंदू कॉलेज से उत्कर्ष शर्मा, इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वीमेन से सवस्ती हल्दर होंगी.
अनूप जलोटा अपनी धुन छेड़ेंगे
बहस, परिचर्चा, सुर और साहित्य से लबरेज इस दिन की शाम सुर-संगीत की महफिल से ही ढलेगी. शाम सात बजे ऐसी लागी लगन फेम अनूप जलोटा ‘भजन संध्या’ में अपनी धुन छेड़ेंगे, तो रात आठ बजे पद्मश्री से सम्मानित उस्ताद पूरन चंद वडाली जी और लखविंदर वडाली की कव्वाली को सुनना दिल्ली के दर्शकों के लिए किसी खास रुहानी शाम से कम नहीं होगा.
पहले दिन के कार्यक्रम का विराम यहीं होगा, पर दूसरे दिन की सुबह और खास होगी. तो देर न करें, अब भी अवसर है. ‘साहित्य आज तक’ का यह कार्यक्रम फ्री है, पर इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है. इसके लिए आप ‘आजतक’ और हमारी दूसरी सहयोगी वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर जाकर या फिर 7836993366 नंबर पर मिस्ड कॉल करना भर होगा, और आपका पंजीकरण हो जाएगा. तो आइए साहित्य के इस महाकुंभ में, हम आपके स्वागत के लिए तैयार हैं.