Sahitya AajTak 2023: शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (शनिवार) कार्यक्रम का दूसरा दिन है. इसमें 'कबीरा ये घर प्रेम का...एक शाम कबीर के नाम' शीर्षक पर कबीर प्रोजेक्ट की शबनम विरमानी ने अपने विचार व्यक्त किए.
कबीर प्रोजेक्ट के जर्नी के तहत कई लोगों से मेरी मुलाकात हुई. इन सबकी सोहबत में बैठकर भजन जेहन में बसे. हमारे देश की ये समृद्धता है कि इतने गुणी कवियों ने इस देश के लोगों को छुआ है. लोगों ने उनको अपने दिलों में जिंदा रखा है. चुनौती तब बड़ी हो जाती है इतना समृद्धता हमारे आसपास होती है.
'कोई गुजर जाता है तो जीवन के सच का अहसास होता है'
कोई गुजर जाता है तो हमें अहसास होता है कि जीवन का सच क्या है. कुछ दिन बीतने के बाद सब सामान्य हो जाता है. इसलिए कबीर के गीतों की ताकत से जीवन को समझना होगा. मेरे पास कोई ट्रेनिंग नहीं है. मैं फिल्म मेकर हूं. पर कबीर प्रोजेक्ट के जर्नी के दौरान लोगों से काफी कुछ सीखा है.
'सभी भजन खुद को जानने की बात करते हैं'
अक्सर मुझे लगता है कि सभी भजन बात तो एक ही करते हैं. कहते हैं कि सब खेल मन का है. फिर बार-बार हम इन्हें गाते और लिखते हैं. इसकी वजह ये है कि हम लोग मानते हैं. इसलिए कवियों ने अलग-अलग रूपों में बात कही है ताकि शायद ही बात बन जाए. अपनी इन बातों के बीच में शबनम विरमानी ने कबीर के भजनों के साथ ही दोहे भी सुनाए.