साहित्य आजतक के डिजिटल संस्करण e-साहित्य आजतक के मंच पर तीसरे दिन लोक संगीत की नायब हस्ती मालिनी अवस्थी ने शिरकत की. e-साहित्य आजतक के मंच पर लोक गायिका मालिनी अवस्थी अपने पिता जी के निधन के बाद भी मौजूद हुईं और माटी कहे कुम्हार गाकर जीवन का सार सुनाया. इस दौरान मालिनी अवस्थी ने उन दिनों की चर्चा की जब उनका जीवन बहुत संघर्ष में बीता. मालिनी अवस्थी ने e-साहित्य आजतक के मंच पर लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने प्रवासी मजदूरों की पीड़ा को बयान करता गीत, परदेसी भैया हे परदेसी भैया भी सुनाया. देखिए वीडियो.