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मजदूरों की दशा पर बोले मनोज तिवारी, प्रवासी कहना गलत, वो निवासी मजदूर हैं

e-साहित्य आजतक पर मनोज तिवारी ने कहा कि मैं उन्हें प्रवासी नहीं निवासी मजदूर कहूंगा. ये जो दृश्य देखा बहुत दुखद था. इसके साथ ही उनहोंने अपने करियर और लॉकडाउन में लोगों की मदद करने के बारे में भी बात की.

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मनोज तिवारी
मनोज तिवारी

e-साहित्य आजतक के तीसरे दिन राजनेता और भोजपुरी सिंगर/एक्टर मनोज तिवारी इस इवेंट का हिस्सा बने. एंकर श्वेता सिंह से बातचीत में मनोज तिवारी ने अपने गाने, स्कूल के दिनों, स्ट्रगल के दिनों सहित प्रवासी मजदूरों के बारे में बात की.

मनोज तिवारी ने कहा कि मैं उन्हें प्रवासी नहीं निवासी मजदूर कहूंगा. वो मुंबई के निवासी है, वोटर हो गए हैं. दिल्ली के निवासी मजदूर हैं. ये जो दृश्य देखा बहुत दुखद था. माइग्रेशन का दर्द जो है वो हमने देखा. ये वो लोग हैं जो (गांव से) निकले तो वहां काम करते रह गए. फिर एक ऐसा संकट आया कि उन्हें फिर गांव याद आया. लेकिन जो भी हुआ है बड़ा तकलीफ दायक था. हमें ये दृश्य बहुत कुछ विचार करने के लिए मजबूर करता है.

लॉकडाउन में की दौड़भाग

e-साहित्य आजतक में मनोज तिवारी ने बताया कि वे लॉकडाउन में खूब भागदौड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा- हम लॉकडाउन में भागदौड़ में लगे रहे. फीड द नीडी के जरिए हम जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं, जिसमें खूब भागना पड़ा है. हम दिन में 4-5 घंटे भागदौड़ करते हैं और शाम को बैडमिंटन और क्रिकेट की प्रैक्टिस कर लेते हैं. इससे हमारी एक्सरसाइज हो जाती है, जिससे लॉकडाउन हटे तो हम फिल्म में काम करें.

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इसके अलावा मनोज तिवारी ने क्रिकेट में करियर ना बनाने के व्बारे में भी बताया. उन्होंने कहा- हम शुरुआत में जैक ऑफ ऑल, मास्टर ऑफ़ नन कहलाते थे. ऐसे में हमें संगीत में आगे बढ़ना था. हम क्रिकेट खेलते थे. काशी विश्वविद्यालय में क्रिकेट कप्तान भी रहेलेकिन अफसोस आगे कुछ नहीं कर पाए. अब क्रिकेट हमारे लिए हमारा फिटनेस है, हमें मानसिक तौर पर ताजा रखने के लिए साधन है.

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