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अमीष त्रिपाठी ने उठाया सवालः अगर इतिहास में हम हमेशा हारे तो अब तक कैसे बचे हुए हैं?

अमीष ने भारत में अंग्रेजों और तुर्कियों के आक्रमण और हमारे पूर्वजों संग उनकी लड़ाई के बारे में बात करते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हमें ये सिखाया जाता है कि हम किस्से हारे हैं. इस बात पर अमीष ने सवाल भी उठाए

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अमीष त्रिपाठी
अमीष त्रिपाठी

e-साहित्य आजतक में भारत के फेमस लेखक अमीष त्रिपाठी ने श‍िरकत की. उन्होंने रामायण, भगवान राम के इतिहास सहित भारत के इतिहास के बारे में बातचीत की.

अमीष ने भारत में अंग्रेजों और तुर्कियों के आक्रमण और हमारे पूर्वजों संग उनकी लड़ाई के बारे में बात करते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हमें ये सिखाया जाता है कि हम किस्से हारे हैं. इस बात पर अमीष ने सवाल भी उठाए

शिक्षा प्रणाली से नाराज अमीष

अमीष ने कहा कि इतिहास जो हमें सिखाई जाती है वो हमारी नहीं हमारे ऊपर आक्रमण करने वालों की इतिहास है. हर लड़ाई हम हारे ये सिखाया जाता है हमें. तो मैं पूछना चाहता हूं कि अगर सब लड़ाई हमने हारी है तो हम जिन्दा कैसे हैं आज.

अमीष ने ये भी कहा कि भारत मां के लिए पिछले सैकड़ों साल कठिन रहे हैं. हम जिन्दा हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हार नहीं मानी और लड़ते रहे. हमारी शिक्षा प्रणाली जो है वो पूर्वजों और संस्कृति के बारे में नहीं सिखाती. वो तो हमें अंग्रेज बना रही है.

प्राणायाम से होगा का बचाव

e-साहित्य आजतक में अमीष ने कोरोना को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा, "कोरोना एक रेस्पायरेट्री डिजीज है और विदेश में कई लोग सिर्फ योग को जानते हैं प्राणायम को नहीं जानते हैं. प्राणायम, योग और ध्यान तीनों को एक साथ किया जाता है. अगर हम ये बात करें तो अगर आप प्राणायाम कर रहे हैं तो आप अपने श्वसन तंत्र को मजबूत कर रहे हैं. मैंने कहीं सुना था कि हम हर जगह सैनिटाइजर नहीं लगा सकते हैं. कहां तक उससे खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. बेस्ट ये है कि हम अपने इम्यून को स्ट्रॉन्ग करें. तो क्यों ना हम प्राणायाम करें क्योंकि वह आपके श्वसन तंत्र को स्ट्रॉन्ग करता है."

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