लॉकडाउन के दौरान हर काम को डिजिटल ढंग से करने की कोशिश की जा रही है. बहुत कुछ डिजिटल हो चुका है और ऐसे में आपका पसंदीदा साहित्य आज तक भी डिजिटल हो चुका है. तकनीक के माध्यम से साहित्य आज तक इस बार घर-घर तक लोगों की कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी की स्क्रीन तक पहुंच रहा है. कार्यक्रम के दूसरे दिन दिग्गज लेखक अमीष त्रिपाठी ने मॉड्रेटर श्रेता सिंह के साथ बातचीत की.
अमीष ने इतिहास से लेकर मायथोलॉजी और वर्तमान हालातों तक पर अपने विचार व्यक्त किए. अमीष ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह एक किताब लिख रहे हैं जिसके तकरीबन 10-15 हजार शब्द अब तक वो लिख चुके हैं. मिथकीय कहानियों से लेकर धर्म और योग दिवस पर बात करने के बाद अमीष त्रिपाठी ने कोरोना पर भी अपने विचार व्यक्त किए. अमीष ने बताया कि कोरोना श्वसन तंत्र की एक बीमारी है और प्राणायम आपके श्वसन तंत्र को मजबूत करता है.
ये आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाता है. अमीष ने कहा कि प्राणायम के जरिए हम अगर अपने श्वसन तंत्र को मजबूत कर लें और अपनी इम्यूनिटी बढ़ा लें तो ये एक अच्छा विचार है. अमीष ने बताया मैंने कहीं सुना था कि हम हर जगह सैनिटाइजर नहीं लगा सकते हैं. कहां तक उससे खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. बेस्ट ये है कि हम अपने इम्यून को स्ट्रॉन्ग करें. तो क्यों ना हम प्राणायाम करें क्योंकि वह आपके श्वसन तंत्र को स्ट्रॉन्ग करता है.
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प्राणायम जरूरी है
अमीष ने बताया कि विदेश में कई लोग सिर्फ योग को जानते हैं प्राणायम को नहीं जानते हैं. प्राणायम, योग और ध्यान तीनों को एक साथ किया जाता है. अगर हम ये बात करें तो अगर आप प्राणायाम कर रहे हैं तो आप अपने श्वसन तंत्र को मजबूत कर रहे हैं. अमीष ने इस सेशन में बताया कि आज की पीढ़ी के जहन में रामायण जो है वो वाल्मीकि जी वाली नहीं रामानंद सागर वाली है. इसी तरह वो समझते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी रणवीर सिंह की तरह दिखता था.