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गर्भावस्था का याददाश्त कमजोर होने से संबंध नहीं

गर्भवती महिलाएं अब अपनी याददाश्त कमजोर होने का दोष भीतर पल रहे शिशु पर नहीं डाल पाएंगी. एक नए शोध में दावा किया गया है कि ‘‘बेबी ब्रेन’’ का विचार केवल एक भ्रम है जिसमें यह मान लिया जाता है कि गर्भावस्था के कारण याददाश्त कमजोर हो जाती है.

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गर्भवती महिलाएं अब अपनी याददाश्त कमजोर होने का दोष भीतर पल रहे शिशु पर नहीं डाल पाएंगी. एक नए शोध में दावा किया गया है कि ‘‘बेबी ब्रेन’’ का विचार केवल एक भ्रम है जिसमें यह मान लिया जाता है कि गर्भावस्था के कारण याददाश्त कमजोर हो जाती है.

पूर्व के अध्ययनों में कहा गया था कि गर्भवती होने पर महिलाओं के दिमाग का आकार चार फीसदी कम हो जाता है जिससे वे याददाश्त और मौखिक दक्षता संबंधी परीक्षणों में खराब प्रदर्शन करती हैं. अब केनबरा में आस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया है कि गर्भावस्था का महिलाओं की याददाश्त कमजोर होने से कोई लेना देना नहीं है.

‘ब्रिटिश जर्नल आफ साइकेट्री’’ में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. शोधकर्ताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को अब समझाया जाना चाहिए कि वे याददाश्त में कमजोरी का दोष गर्भ में पल रहे शिशु पर न न डालें. प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर हेलेन क्रिस्टेंसिन ने कहा कि ‘‘बेबी ब्रेन’’ प्रभाव केवल एक भ्रम है.

दी टाइम्स ने क्रिस्टेंसिन के हवाले से कहा है ‘‘बहुत अधिक समय नहीं बीता है जब गर्भावस्था का मतलब ‘‘अपने में सिमट जाना’’ और मातृत्व का मतलब कैरियर संबंधी आकांक्षाओं पर विराम समझा जाता था. लेकिन हमारे शोध परिणामों ने इस विचार को चुनौती दी है कि माएं अपने समकालीनों से बौद्धिकता के मामले में पीछे रह जाती हैं.’’ अध्ययन में शोध दल ने 1999 से 2003 के बीच 20 से 24 आयु वर्ग की 1214 महिलाओं को एक परीक्षण श्रंखला में शामिल किया.

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