धूम्रपान से होने वाले नुकसान को लेकर लोग न केवल काफी जागरूक हो रहे हैं बल्कि ऐसे लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा भी हो रहा है जो धूम्रपान नहीं करने वाले जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं. इस मामले में मुंबई के युवाओं ने दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है.
अंतरराष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस के मौके पर एक प्रतिष्ठित संस्था द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि मुंबई में 90.26 फीसदी जबकि दिल्ली में 89.76 फीसदी युवाओं ने कहा कि वे ऐसे जीवनसाथी का हाथ थामना पसंद करेंगे जो धूम्रपान न करता हो.
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए 31 मई को हर साल ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ मनाने की घोषणा कई साल पहले से ही कर रखी है. दुनियाभर में प्रत्येक दस वयस्क लोगों की मौत में से एक मौत का कारण तंबाकू होता है और संभवत: यही कारण है कि शादी के बंधन में बंधने की योजना बना रहा युवा तबका अपने जीवनसाथी में तंबाकू का सेवन नहीं करने को भी एक अतिरिक्त योग्यता मानकर चल रहा है.
संस्था ने यह सर्वेक्षण मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलूर, पुणे तथा कोलकाता में कराया जिसमें रोचक बात यह रही कि ‘नॉन स्मोकिंग लाइफ पार्टनर’ को तरजीह देने के मामले में मुंबई के युवाओं ने 90.26 फीसदी के साथ दिल्ली के युवाओं को पीछे छोड़ दिया.
{mospagebreak}बेंगलूर में यह आंकड़ा 87.28 फीसदी, हैदराबाद में 87.41 फीसदी, चेन्नई में 88.75 फीसदी, पुणे में 89.68 फीसदी, कोलकाता में 70.58 फीसदी तथा अहमदाबाद में 91.29 फीसदी था.
अगर वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो गैर धूम्रपान वाले जीवनसाथी को तरजीह देने के मामले में कनाडा 98.78 फीसदी के साथ शीर्ष पर है जबकि भारत इस कुल औसत में 95.66 फीसदी के स्तर पर है.
शादी डाट काम वेबसाइट के बिजनेस हेड गौरव रक्षित ने बताया ‘यह देखना सुखद है कि लोग इस बात की गंभीरता को समझते हुए धूम्रपान की आदत को छोड़ रहे हैं कि उस व्यक्ति पर इसका बुरा असर होगा जिसे वह जीवनसाथी के रूप में चुनने जा रहे हैं.’ सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह बात भी साफ होती है कि दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों में दस फीसदी भारत में निवास करते हैं और युवा ऐसे जीवनसाथी को तरजीह देने लगे हैं जो धूम्रपान नहीं करता हो या कभी कभार करता हो.
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, विश्व में अनुमानत: पैसिव स्मोकिंग (धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के करीब उठने बैठने) के चलते ही हर साल चार लाख 30 हजार लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं. भारत में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर रोक लगाए जाने के महत्व को स्वीकार करते हुए एक गैर सरकारी संगठन नेशनल आर्गेनाइजेशन फोर टोबैको इरेडिकेशन (एनओटीई) ने इस कानून का पहली बार उल्लंघन करने वाले पर 500 रूपये जुर्माना, दूसरी बार कानून तोड़ने वाले पर पांच हजार रूपये जुर्माना तथा तीसरी बार अपराध दोहराने पर पांच हजार रूपये के जुर्माने के साथ ही छह माह के कारावास का भी प्रावधान होना चाहिए.