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उत्‍पीड़न से बचाव के लिए 'पुरुष मंत्रालय' व 'पुरुष आयोग' बनाने की मांग

तेजी से हो रहे सामाजिक बदलाव के इस दौर में अब कई पुरुष खुद को लाचार व असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. यही वजह है कि 'महिला आयोग' के जवाब में अब 'पुरुष आयोग' बनाने की मांग उठने लगी है.

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Symbolic Image
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तेजी से हो रहे सामाजिक बदलाव के इस दौर में अब कई पुरुष खुद को लाचार व असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. यही वजह है कि 'महिला आयोग' के जवाब में अब 'पुरुष आयोग' बनाने की मांग उठने लगी है.

पुरुष मंत्रालय व आयोग बनाए जाने और पुरुषों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वालों पर कार्रवाई के लिए टास्‍कफोर्स का गठन किए जाने के लिए पति-परिवार कल्याण समिति व 50 स्वयंसेवी संस्थाओं का समूह 'नेशनल कोलिशन ऑफ मेन' (एनसीएम) संस्था ने आवाज उठाई है.

इस ओर सख्त कदम उठाते हुए संस्था द्वारा 'चुनाव घोषणा पत्र' भी जारी किया गया, जिसमें पुरुषों के 10 सूत्री मांगों को शामिल किया गया है.

समिति की अध्यक्ष इन्दु सुभाष ने लखनऊ में शनिवार को प्रेस क्लब में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम के मौके पर कहा कि सरकार आए दिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बना रही है, लेकिन पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं बनाया जा रहा है. लिंगभेद आधारित कानून बनाकर पुरुषों का उत्पीड़न किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि नारी सशक्तिकरण के युग में पुरुषों के अधिकारों को अनदेखा किया जा रहा है, जिसके चलते आए दिन पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं और संयुक्त परिवार बिखरते जा रहे हैं. दस वर्षों के एनसीआरबी के आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि पुरुष महिलाओं की तुलना में दोगुनी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि जारी किए गए इस घोषणा पत्र के माध्यम से पुरुषों के अधिकारों की मांग की गई है, ताकि पुरुषों के लिये सरकार द्वारा कानून बनाए जाएं.

वहीं घोषण पत्र जारी करते हुए एनसीएम के अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है, तो इसके लिए राजनीतिक पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव 2014 में शामिल होकर पुरुषों के अधिकारों के लिए जनता के बीच आवाज उठाई जाएगी.

उन्होंने कहा कि महिला ही नहीं, पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं, जिसके चलते मौजूदा दौर में लड़ाई-झगड़े के चलते संयुक्त परिवार का बिखराव हो रहा है. इसे बचाने के लिए लोगों को सामने आना चाहिए.

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