scorecardresearch
 

विवाह एक रस्म है बाध्यता नहीं

कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और ऊपर वाले ने हर किसी के लिए कोई न कोई जोड़ीदार बनाया है लेकिन आज कई महिलाएं इस धारणा को खारिज करते हुए अकेले जीवन बिता रही हैं. इन अविवाहित महिलाओं के लिए न तो विवाह प्राथमिकता है और न ही अकेलापन कोई समस्या है.

Advertisement
X
बंधन
बंधन

कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और ऊपर वाले ने हर किसी के लिए कोई न कोई जोड़ीदार बनाया है लेकिन आज कई महिलाएं इस धारणा को खारिज करते हुए अकेले जीवन बिता रही हैं. इन अविवाहित महिलाओं के लिए न तो विवाह प्राथमिकता है और न ही अकेलापन कोई समस्या है.

विवाह जीवन की आवश्‍यकता नहीं
सेवानिवृत्त प्राध्यापिका रत्‍ना वर्मा कहती हैं कि विवाह करना जीवन की आवश्यकता नहीं है. कुछ लोग विवाह कर लेते हैं और कुछ नहीं करते. इसमें असामान्य कुछ नहीं है. अगर कोई विवाह नहीं करना चाहता तो इसमें गलत क्या है. हर व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवन बिताने का अधिकार होता है. विवाह एक रस्म है बाध्यता नहीं. रत्‍ना स्वयं अविवाहित हैं और उनका अधिकतर समय अध्ययन करने तथा अपने शौक पूरे करने में गुजरता है. वह कहती हैं मुझे कभी विवाह करने की इच्छा ही नहीं हुई. मैंने इतिहास में एमए किया फिर पीएचडी कर ली. घर के लोग विवाह के लिए कहते थे लेकिन मैं मना कर देती थी. आज मुझे अपने फैसले पर कोई पछतावा भी नहीं है.

ओल्ड मेड डे

अमेरिका तथा कुछ अन्य देशों में हर साल चार जून को ओल्ड मेड डे मनाया जाता है. इसकी शुरूआत 1946 से हुई. तब दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ था और साथ ही कई ऐसी अविवाहित महिलाओं का इंतजार भी खत्म हो गया था जिनके मंगेतर या प्रेमी को सैनिक होने के कारण युद्ध में जाना पड़ा था. सैनिक अपने घरों को लौट रहे थे. युद्ध ने कई युवतियों महिलाओं के सपने और रिश्ते तोड़ दिए थे. कई सैनिक अपने पीछे अंतहीन इंतजार छोड़ कर मारे जा चुके थे. इन अविवाहित महिलाओं को और वापस लौटे सैनिकों को करीब लाने के लिए चार जून 1946 से विभिन्न आयोजनों की शुरुआत की गई थी. इसी के साथ ओल्ड मेड डे भी मनाया जाने लगा.

सूना नहीं है मेरा जीवन
भारत में ऐसे किसी दिन को मनाने की परंपरा नहीं है. लेकिन अविवाहित हमारे देश में भी हैं. वैज्ञानिक प्रीति कुलश्रेष्ठ कहती हैं मैंने विवाह नहीं किया क्योंकि मैं परिवार की कई जिम्मेदारियां नहीं निभा सकती. मेरी राय में मेरा काम परिवार से अधिक महत्वपूर्ण है. विवाह मेरी प्राथमिकता नहीं रहा. जब घरवालों की याद आती है तो उनसे मिलने जरूर जाती हूं. मेरा परिवार बनारस में रहता है. प्रीति ने बताया कि मैंने एक बच्ची को गोद लिया है. वह बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती हैं. चित्रकारी की शौकीन प्रीति समय मिलते ही इस शौक को पूरा करने में जुट जाती हैं. वह कहती हैं परिवार में सभी लोग हैं. भाई बहनों के बच्चों और अपनी बिटिया के साथ समय कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता. शेष समय मेरे काम के लिए होता है. मुझे नहीं लगता कि मेरे जीवन में कोई कमी है.

स्वयं को व्यस्त रखें, स्‍वस्‍थ रहें
क्या अकेलापन अवसाद तनाव और निराशा का कारण नहीं होता. मनोविज्ञानी समीर पारिख कहते हैं यदि व्यक्ति स्वयं को व्यस्त रखे तो अकेलापन हावी नहीं हो पाता. फिर तनाव, अवसाद और निराशा आदि का सवाल ही नहीं उठता. कई बार भरे-पूरे परिवार में रहने के बाद भी व्यक्ति स्वयं को अकेला मानता है और बीमारियों का शिकार हो जाता है. वह कहते हैं स्वयं को व्यस्त रखना और संयमित दिनचर्या कई बीमारियों का इलाज है. चाहे वह अकेलापन ही क्यों न हो.

Advertisement
Advertisement