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अब ज्यादातर दंपति बेटा नहीं बल्कि बेटी लेना चाहते हैं गोद

देश के लगभग 9000 चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन्स को रेटिंग करने के अलावा राज्य की अडॉप्शन एजेंसियों की भी ग्रेडिंग किए जाने की एक प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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Representational photo
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बदलते जमाने के साथ लोगों की सोच में भी बड़ा बदलाव आ रहा है. अब लोग बेटों से ज्यादा बेटियों की चाहत रखने लगे हैं. सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्सेज एजेंसी (CARA) में करीब 18,000 भावी, अभिभावक के तौर पर दर्ज हैं. जिसमें से करीबन 50 से 60 फीसदी अभिभावकों ने लड़कियों को गोद लेने की इच्छा जताई है.

बाल दिवस के मौके पर हुए सेमिनार में यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय राज्य मंत्री वीरेंद्र कुमार ने साझा की. उन्होंने बताया, देश के लगभग 9000 चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन्स को रेटिंग करने के अलावा राज्य की अडॉप्शन एजेंसियों की भी ग्रेडिंग किए जाने की एक प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जिससे बेहतर प्रदर्शन करने वाली एजेंसियों को पुरस्कृत किया जा सके. साथ ही, इससे प्रदर्शन करने में नाकाम एजेंसियों की पहचान भी की जा सकेगी.

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, सभी गैर-पंजीकृत चाइल्ड केयर संस्थाओं को संबंधित राज्य से 31 दिसंबर तक पंजीकृत कराना होगा. इससे पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक स्टडी कराई थी जिसमें कई सीसीआई 'जुवेनाइल जस्टिस (केयर ऐंड प्रोटेक्शन) ऐक्ट, 2015' के तहत पंजीकृत नहीं पाए गए थे.

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