एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रजनन संबंधी इंजेक्शन बच्चों में जन्म से जुड़ी विकृतियों का कारण बन सकते हैं.
एडीलेड विश्वविद्यालय ने यह दावा 300,000 से अधिक बच्चों पर अध्ययन करने के बाद किया है. अध्ययन में कहा गया है कि प्राकृतिक तरीके से जन्मे बच्चों की तुलना में उन बच्चों में विकृतियां होने का खतरा अधिक होता है, जिनका जन्म प्रजनन संबंधी इलाज के सामान्य तरीके से होता है.
‘द डेली टेलीग्राफ’ में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि ‘इन्ट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इन्जेक्शन’ (आईसीएसआई) से जन्मे बच्चों में विकृतियां होने की आशंका अधिक होती है.
आईसीएसआई में एक शुक्राणु को सीधे ही अंडाणु में प्रविष्ट कराया जाता है. इसका मतलब है कि वह शुक्राणु भी अंडाणु को निषेचित कर सकता है जो असामान्य होता है. सामान्य प्रक्रिया में ऐसा शुक्राणु अलग कर दिया जाता है.
बहरहाल, अनुसंधानकर्ता यह नहीं बता पाए कि इस तरह की विकृतियों का खतरा आईसीएसआई तकनीक की वजह से बढ़ता है या फिर ज्यादा क्षतिग्रस्त शुक्राणु वाले पुरुषों से अनुवांशिक विकृतियां उसकी संतान तक पहुंचने की आशंका अधिक होती है.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि परंपरागत इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) इलाज से जन्म संबंधी विकृतियों का खतरा नहीं बढ़ता. अध्ययन के नतीजे ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित हुए हैं.