बुजुर्गों के बीच शादी से पहले आपसी तालमेल का पता लगाने के लिए एक स्थानीय गैर सरकारी संस्थान (एनजीओ) ने 20 नवंबर को पचास साल से अधिक के लोगों के लिए एक अनोखे सम्मेलन का आयोजन किया है.
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एनजीओ विना मूल्य अमूल्य सेवा (वीएमएएस) ने कड़े नियम बनाएं है, ताकि इस मंच का इस्तेमाल पुरुष महिलाओं के शोषण के लिए न कर सकें.
इस अनोखे सम्मेलन में करीब 300 पुरुषों और तकरीबन 50 महिलाओं के भाग लेने की संभावना है. यह देश में अपनी तरह का पहला सम्मेलन है.
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एनजीओ चलाने वाले नातू पटेल ने कहा, ‘‘हमने 50 साल से अधिक की उम्र के उन लोगों के लिए 20 नवंबर को वैवाहिक सम्मेलन का आयोजन किया है जो जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं. इस सम्मेलन का उद्देश्य बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं के बीच शादी का फैसला करने से पहले तालमेल का पता लगाना है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम बुजुर्ग लोगों के लिए कई साल से वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब हमने पुरुषों और महिलाओं को ‘लिव इन’ में रहने के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया है.
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इस पहल के उद्देश्य का जिक्र करते हुए पटेल ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि जब बुजुर्ग शादी करते हैं, तो दंपतियों और उनके परिवार के सदस्यों जैसे बच्चों, रिश्तेदारों के बीच तालमेल संबंधी कुछ समस्याएं होती हैं.’’
पटेल ने कहा कि इसलिए हमने फैसला किया कि यदि दो बुजुर्ग लोग कुछ माह एक-दूसरे के साथ रहेंगे तो एक दूसरे को जानेंगे और समझ पाएंगे कि वे साथ में जीवन व्यतीत कर सकते है या नहीं, उसके बाद वे शादी करेंगे. उन्होंने कहा कि एनजीओ ने कड़े नियम बनाए हैं कि इस मंच का दुरुपयोग न हो.
पटेल ने कहा, ‘‘पुरुष इस व्यवस्था का फायदा उठा सकते हैं और महिला का यौन उत्पीड़न कर सकते हैं और उसके बाद कह सकते हैं कि वह उसके साथ नहीं रहना चाहते, इसलिए महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए हमने कुछ नियम बनाए हैं.’’
आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति वाले और जिनकी नियमित आय 15000 रुपये से अधिक हो, वही पुरुष इसमें भाग ले सकते हैं. उन्होंन कहा, ‘‘बुजुर्ग उम्र की महिला स्थायी आय वाले पुरुष को प्राथमिकता देती है, क्योंकि इससे उसे सुरक्षित होने का अहसास होता है.’’