आने वाले समय में जीवनसाथी तय करने के लिए कुंडली और दिलों के मिलान की जगह जीन्स का मिलान ज्यादा महत्वपूर्ण होगा. लोग जीन्स की 'योग्यता' के आधार पर शादी करेंगे.
वैज्ञानिकों का मानना है कि चूंकि आनुवंशिकी अनुक्रमण जांच की लागत में बहुत तेजी से गिरावट हो रही है, इसलिए आने वाले पांच से दस साल में युवा लोगों के लिए समूचे आनुवंशिक कोड को पढ़ने और उसके हिसाब से जीवनसाथी चुनने के लिए खर्च करना आम बात होगा.
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के अग्रणी वैज्ञानिक एर्मंड लेरोई ने कहा कि लोगों के मन में स्वस्थ बच्चों की इच्छा भी उन्हें किसी संभावित जीवनसाथी का आनुवंशिक ब्लूप्रिंट पढ़ने के लिए प्रेरित करेगी.
लेरोई ने डबलिन में विज्ञान सम्मेलन ‘यूरो साइंस ओपन फोरम-2012’ में कहा कि आनुवंशिक ब्लूप्रिंट से मिली सूचना के आधार पर पति-पत्नी अपने बच्चों को असाध्य रोगों से बचाने के लिए आईवीएफ तकनीक का सहारा लेंगे.
उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि लोग इस तकनीक का इस्तेमाल पसंदीदा बच्चे पाने के लिए करेंगे, बल्कि इसकी बजाय वे बच्चों में आनुवंशिक रोगों को रोकने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करेंगे.
लेरोई ने कहा कि लोगों की आनुवंशिक बनावट को सुधारने की तकनीक कुछ हद तक यहां पहले से ही है और बीमारियों से ग्रस्त हजारों अजन्मे बच्चे हर साल गर्भपात के जरिए गिरा दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया यूरोपीय देशों में अच्छी तरह स्थापित है. हालांकि, इसे लेकर बहुत-सी नैतिक समस्याएं हैं.
लेरोई ने कहा कि आनुवंशिक अनुक्रमण जांच की लागत बहुत तेजी से गिर रही है और इसके चलते यह बहुत जल्द हर किसी की पहुंच तक पहुंच सकती है.