देश के विभिन्न हिस्सों में सूखी मछली को भले ही चाव से खाया जाता हो, लेकिन इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. एक शोध परिणाम में बताया गया है कि इसे सुरक्षित रखने में जिन पदार्थों का उपयोग होता है, वे बहुत जहरीले होते हैं.
खरिनासी, रामनगर और पारादीप में सूखी मछली के व्यापारी इन मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए कई पदार्थों का उपयोग करते हैं, ताकि इन मछलियों को पश्चिम बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में भेजा जा सके.
भुवनेश्वर आधारित क्षेत्रीय शोध प्रयोगशाला ने इन सूखी मछलियों में फॉर्मेलिन डी-हाइड के अवशेष पाए हैं, जो अमूमन मानव शरीर को सुरक्षित रखने में उपयोग होता है.
पारादीप जोन के समुद्री मछलीपालन अधिकारी सुब्रत दास ने बताया, ‘अगर यह रसायन कच्चा आपके शरीर में चला जाए, तो घातक हो सकता है और अगर इसे मछली को सुरक्षित रखने में उपयोग किया जा रहा है, तो बहुत पतले रूप में किया जाना चाहिए.’ हालांकि उड़ीसा समुद्री मछली उत्पाद संगठन के स्थानीय प्रमुख हेमंत बिस्वाल का दावा है कि एक बार हवा के संपर्क में आने के बाद इस पदार्थ का जहरीलापन बहुत कम हो जाता है.
इस व्यापार को रोकने के उद्देश्य से समुद्री मछलीपालन निदेशालय ने पिछले दिनों मछलियों को इस तरह सुरक्षित रखने में किसी प्रकार के रसायन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. दास ने बताया, ‘हमें इस तरह की खबरें मिलीं थीं कि मछली व्यापारी मछलियों को सूखा रखने के लिए ऐसे रसायनों का उपयोग कर रहे हैं, इसके चलते हाल ही में इसका उपयोग प्रतिबंधित करने के आदेश दे दिए हैं.’ उन्होंने बताया कि सूखी मछली उत्पादित करने वाली इकाइयों, संचालकों और मछुआरों की को-ऑपरेटिव सोसाइटियों को नोटिस जारी किए गए हैं.