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कामकाजी जोड़ों के बीच ज्‍यादा जरूरी है तालमेल

हाल के दशकों में कामकाजी दंपतियों की संख्‍या में बहुत ज्‍यादा इजाफा हुआ है. जब पति-पत्‍नी दोनों कमाऊ हों, तो घर की आर्थिक स्थिति तो ज्‍यादा सुदृढ़ होती है, पर कुछ समस्‍याएं भी सामने खड़ी हो जाती हैं. ऐसे में इनका समाधान बहुत सूझबूझ से किया जाना बहुत जरूरी है.

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रिलेशनशिप
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हाल के दशकों में कामकाजी दंपतियों की संख्‍या में बहुत ज्‍यादा इजाफा हुआ है. जब पति-पत्‍नी दोनों कमाऊ हों, तो घर की आर्थिक स्थिति तो ज्‍यादा सुदृढ़ होती है, पर कुछ समस्‍याएं भी सामने खड़ी हो जाती हैं. ऐसे में इनका समाधान बहुत सूझबूझ से किया जाना बहुत जरूरी है.

अहं को छोड़ना बेहद जरूरी
कई बार कामकाजी जोड़ों के बीच 'अहं' टकराव का कारण बन जाता है. कामकाजी महिलाएं यह सोचती हैं कि धनोपार्जन करना और घर चलाने की पूरी जिम्‍मेदारी पुरुषों की है. ऐसे में वे यदि बाहर जाकर काम करती हैं, तो वे एक अतिरिक्‍त जिम्‍मेदारी का निर्वाह कर रही हैं. धीरे-धीरे यह धारणा 'अहं के टकराव' का रूप ले सकती है.

सूझबूझ से लें काम
कई बार यह सवाल भी पैदा हो जाता है कि जब महिला घर के बाहर जाकर जॉब कर रही हो, तो पुरुषों को भी घरेलू काम में बराबर की भागीदारी करनी चाहिए. सारा घरेलू कामकाम महिलाएं खुद क्‍यों निपटाएं?

ऐसी स्थिति सामने आने पर पति-पत्‍नी को सूझबूझ से काम लेना चाहिए. दोनों को एक-दूसरे से सहयोग करने के लिए तैयार रहना चाहिए. थोड़ी-सी समझदारी से अनावश्‍यक टकराव तो टलता ही है, परस्‍पर प्रेम भी प्रगाढ़ होता है.

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बच्‍चों की परवरिश में न हो कमी
कामकाजी जोड़ों के बीच समस्‍या तब और बढ़ जाती है, जब छोटे बच्‍चों की परवरिश का सवाल सामने आता है. अगर बच्‍चे को छोड़कर पति-पत्‍नी, दोनों को ऑफिस जाना हो, तो समस्‍या और जटिल हो जाती है. वैसे तो अब छोटे शहरों में भी मोटी कमाई करने वाले ऐसे कई 'सेंटर' खुल गए हैं, जहां निश्चित घंटों के लिए बच्‍चों की अच्‍छी तरह देखभाल का दावा किया जाता है. इसके बावजूद जहां तक संभव हो, यह समस्‍या परिवार के सदस्‍यों के सहयोग से हल किया जाना चाहिए. ध्‍यान रहे कि बच्‍चे के बहुमुखी विकास की बुनियाद कभी कमजोर न पड़े.

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