scorecardresearch
 

परिवार के साथ भोजन करने का लौट आया दौर

पुराने जमाने की तरह परिवार के साथ बैठ कर भोजन करना फिर से चलन में है क्योंकि इस तरह के भोजन को विशेषज्ञ सेहत के लिए बढ़िया बताते हैं.

Advertisement
X

घर का खाना, सेहत का खजाना
शहरी भारतीय भोजन बजट का 20 फीसदी बाहर खाने पर खर्च होता है. जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इशारा करते हैं कि किस तरह रेस्तरां के भोजन में घर पर बने भोजन की अपेक्षा अधिक वसा, नमक और कैलोरी होती हैं. अब वैज्ञानिक अनुसंधान दर्शाते हैं कि परिवार के साथ भोजन कम करने से लोग अस्वास्थकर खाने की ओर भागते हैं और सेहत बिगाड़ लेते हैं.Health

अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने इस माह, माहौल और घर के खाने की गुणवत्ता संबंधी 68 अध्ययनों की समीक्षा की है. उन्होंने पाया कि परिवार जितना साथ मिलकर खाना खाता है, उसमें उतने ही ज्‍यादा फल,  सब्जियां, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन  होते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ कम होते हैं.

परिवार के साथ भोजन करने से बच्चों को खान-पान संबंधी अच्छी आदतें सिखाने में मदद मिलती है, भोजन पर फोकस बढ़ता है और खान-पान बेहतर तथा सेहतमंद होता जाता है.

Advertisement

टीवी बंद करो
परिवार जब साथ मिलकर खाना खाए तो टीवी को बंद कर दीजिए. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन एजुकेशन ऐंड बिहेवियर की रिपोर्ट के मुताबिक, उन परिवारों के बच्चे लो क्वालिटी डाइट लेते हैं, जिनमें भोजन करते समय टीवी देखा जाता है. टीवी देखते समय खाना खाने वाले लड़के कम सब्जियां खाते हैं, अधिक सॉफ्ट ड्रिंक पीते हैं जबकि लड़कियां अधिक मात्रा में तला हुआ भोजन लेती हैं.

टीवी पर आने वाले विज्ञापनों की वजह से किशोरों के खानपान की आदतें प्रभावित हो रही हैं. लेकिन जहां खाना परोसते समय टीवी बंद रहता है वहां भोजन को लेकर कुछ अलग ही तरह का  सकारात्मक माहौल देखा जा सकता है.

स्त्रोतः जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन  एजुकेशन ऐंड बिहेवियर; आर्काइव्ज ऑफ  फैमिली मेडिसिन 2009-2012

Advertisement
Advertisement