30 की उम्र पार करने के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, रिकवरी में अधिक समय लगता है और रोजमर्रा की जिंदगी में स्ट्रेस बढ़ने लगता है. उम्र बढ़ने पर हमारा शरीर ज़्यादा देखभाल की मांग करने लगता है और यह सब खाने से नहीं मिल सकता. हालाँकि सप्लीमेंट कोई जादुई दवा नहीं है,लेकिन 30 की उम्र में कुछ सप्लीमेंट लेने से लंबे समय तक हेल्थ को बेहतर बनाए रखने, एनर्जी बढ़ाने और कुछ खतरनाक बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है. हम आपको कुछ ऐसी सप्लीमेंट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सेवन आपको 30 की उम्र के बाद शुरू कर देना चाहिए.
मल्टीविटामिन- मल्टीविटामिन कई लोगों के लिए बहुत ज़रूरी हैं, लेकिन ये कोई समाधान नहीं है. हालांकि इससे आपको खई सुविधा मिल सकती है लेकिन बैलेंस डाइट खाने वाले ज़्यादातर लोगों को इसकी ज़रूरत नहीं होती है. फिर भी, 30 की उम्र के बाद जिन लोगों की बिजी लाइफस्टाइल, खाने का समय फिक्स ना होना जैसी स्थिति हैं उन्हें मल्टी विटामिन्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.
कैल्शियम- 30 की उम्र के बाद हड्डियाँ धीरे-धीरे डेंसिटी खोना शुरू कर देती हैं, खास तौर पर महिलाओं में. लेकिन अकेले कैल्शियम पर्याप्त नहीं है, और कुछ मामलों में, अगर यह हड्डियों के बजाय धमनियों में जमा हो जाए तो यह खतरनाक भी हो सकता है. बेहतर अवशोषण और काम के लिए, कैल्शियम को विटामिन डी3 और के2 की जरूरत होती है. इन तीनों के बिना, कैल्शियम शायद वहाँ नहीं पहुँच पाए जहाँ इसकी ज़रूरत है. साथ ही, खाने (जैसे डेयरी, सीड्स और पत्तेदार सब्जियाँ) से मिलने वाला कैल्शियम अक्सर बड़ी मात्रा में सप्लीमेंट्स की तुलना में ज्यादा सेफ होता है.
विटामिन सी- यह सच है कि विटामिन सी इम्यूनिटी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है, विटामिन सी स्किन हेल्थ, कोलेजन प्रोडक्शन और आयरन अवशोषण को सपोर्ट करता है - ये वो चीजें हैं जो उम्र बढ़ने के साथ और ज्यादा मायने रखती हैं.
आयरन- आयरन एनर्जी, ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट और यहां तक कि दिमाग के काम के लिए जरूरी है. लेकिन बहुत ज्यादा आयरन खतरनाक हो सकता है, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस हो सकता है. 30 की उम्र के वे लोग जो पर्याप्त नींद के बावजूद थका हुआ महसूस करते हैं, अक्सर सिरदर्द होता है, या स्किन पर पीलापन नजर आता है, उन्हें पहले अपने आयरन के लेवल की जांच करनी चाहिए.
प्रोटीन पाउडर- 30 की उम्र तक, शरीर धीरे-धीरे मांसपेशियों को खोना शुरू कर देता है - इस प्रोसेस को सरकोपेनिया कहा जाता है. यह प्रोटीन को न केवल फिटनेस के लिए बल्कि ताकत, मेटाबॉलिज्म और इम्यून हेल्थ को बनाए रखने के लिए जरूरी बनाता है.