पारसी धर्म मानने वालों में सूरत पारसी पंचायत ने परंपरागत तरीके से अंतिम संस्कार की अनुमति देने और शव ढोने वालों को स्वास्थ्य कार्यकर्ता (Health worker) की मान्यता देने की मांग की. पंचायत ने अपनी याचिका में कोरोना को लेकर आए गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) के आदेश का हवाला दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर नोटिस जारी किया है.
जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस बोपन्ना की पीठ के सामने सीनियर एडवोकेट फली सैम नरीमन ने गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कोविड की वजह से मारे गए पारसियों के शवों के अंतिम संस्कार करने वालों को भी हेल्थ वर्कर की तरह विशेष दर्जा और सुविधाएं दी जाने की बात कही गई.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बारे में जस्टिस श्रीकृष्णा के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यहां भी वही लागू होता है. याचिकाकर्ता सूरत पारसी पंचायत की ओर से नरीमन ने कहा कि धार्मिक मान्यता के मुताबिक, पारसी धर्म मानने वालों के परिवार में कोई मौत होने पर परिजन शव को हाथ नहीं लगाते, बल्कि अंतिम संस्कार करने वाले खास लोग होते हैं. वही शव को ले जाकर अंतिम संस्कार करते हैं.
जनवरी के दूसरे हफ्ते में होगी सुनवाई
अब भले कोविड का प्रकोप थोड़ा घटा हो, लेकिन जब ये याचिका दायर की गई थी तो उससे पिछले महीने में सिर्फ सूरत में ही 13 पारसियों की मौत कोविड की वजह से हुई थी. ये उनकी नस्ल के लिए बहुत खतरे की बात है. ऐसे में उनकी सेहत की सुरक्षा बहुत जरूरी है. सरकार को उन लाशों को ढोने और अंतिम संस्कार करने वालों को हेल्थ वर्कर का दर्जा देना चाहिए, ताकि उनको भी सरकार से तमाम एहतियाती सुविधाएं मिलें, ताकि वो संक्रमण से बचते और सुरक्षित रहते हुए शवों के अंतिम संस्कार कर सकें. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी कर जनवरी के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करने को कहा है.