यासीन मलिक से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में आज (21 नवंबर) अजमल कसाब के मामले का जिक्र हुआ. दरअसल, सर्वोच्च अदालत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक अपील पर सुनवाई हुई. इस अपील में सीबीआई ने जम्मू की एक अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सुनवाई के दौरान अदालत में पेश करने के आदेश दिए गए थे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि 26/11 मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब को तक निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था.
बता दें कि यासीन मलिक 1990 में श्रीनगर के नजदीक वायुसेना के 4 अफसरों की हत्या और 1989 में तब के केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद की किडनैपिंग का मुख्य आरोपी है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से तिहाड़ जेल के अंदर कार्यवाही की संभावना तलाशने के लिए कहा. दरअसल, यासीन मलिक इस समय तिहाड़ जेल में ही बंद है.
एससी की टिप्पणी पर जवाब देते हुए एसजी मेहता ने कहा कि वह इस मामले पर निर्देश मांगेंगे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मलिक को जम्मू नहीं ले जाया जा सकता, क्योंकि गवाहों की सुरक्षा को लेकर चिंता है.
सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि मलिक ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर जोर दिया और वकील रखने से इनकार कर दिया है. मेहता ने मलिक की लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए एक तस्वीर भी पेश की और तर्क दिया कि मलिक कोई साधारण आरोपी नहीं है.