> मोहन समोसे को खोलकर अंदर का मसाला ही खा रहा था.
टीटू- अरे! तू पूरा समोसा क्यों नहीं खा रहा?
मोहन- अरे, मैं बीमार हूं ना...
डॉक्टर ने कहा है बाहर का नहीं खाना!
> किडनैपर - तुम्हारा बेटा अब हमारे कब्जे में है.
मां- बात करवाना जरा उससे
किडनैपर ने बेटे को फोन दिया
मां- तू वहां क्या कर रहा है, अब धनिया लाकर कौन देगा मुझे?
अब मुझे ही लेने जाना पड़ेगा.
> टिल्लू ने पिल्लू को थप्पड़ मार दिया...
पिल्लू- ये तूने मजाक में मारा या सच में मारा?
पिल्लू- सच में मारा।
टिल्लू तो ठीक है, मुझे मजाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है.
> भूगोल की खूबसूरत टीचर ने टीटू से पूछा...
टीचर- गंगा कहां से निकलती है और कहां मिलती है?
टीटू- घर से स्कूल के लिए मेकअप करके निकलती है, और स्कूल के पीछे कालू से मिलती है.
टीटू को पड़े जोर के थप्पड़!
> खचाखच भरी मुंबई लोकल में एक खूबसूरत महिला सफर कर रही थी.
अचानक किसी ने जंजीर खींच दी.
पास में खड़े...कानपुरिया लड़के का हाथ छू गया.
महिला-आराम से खड़े हो जाओ!
लड़का- सॉरी.
कुछ देर बाद...किसी ने फिर जंजीर खींच दी.
महिला- काय करतो तुमी.
कानपुरिया लड़का- खैनी लगा रहे हैं.
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> चंपू- सोचा था, दो पैग मार के 10 बजे तक घर पहुंच जाऊंगा.
गप्पू- हां तो क्या हुआ?
चंपू- ये पैग और टाइम कब आपस में बदल गए, पता ही नहीं चला यार!
> पापा- क्या बात है चिंटू आज बड़ा खुश है?
चिंटू- बस पूछो मत पापा
पापा बता....कमबख्त क्या गुल खिला रहा है
बेटा आपकी होने वाली बहू 12th में पास हो गई है
फिर क्या था....दे लात और दे चप्पल पड़ी! जमकर हुई धुनाई.
> औरतों का दिल सही मायनों में कब टूटता है?
जब वो अपने जैसे प्रिंट का सूट
मोहल्ले की काम वाली को पहने देखती हैं.
> मास्टर- बेटा कोई प्यार वाली शायरी सुनाओ.
छात्र- मोटा मरता मोटी पे, भूखा मरता रोटी पे,
मास्टरजी की है दो बेटी और मै मरता हूं छोटी पे.
मास्टर जी बेहोश!
> कर्मचारी- सर बहुत बारिश हो रही है, क्या आज ऑफिस आना है ?
बॉस- खुद ही सोच लो किससे दिनभर बेइज्जती करानी है...मुझसे या पत्नी से?
कर्मचारी- ठीक है सर... मैं आ रहा हूं!
(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य कतई नहीं है.)