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Viral Jokes: जब एक छिपकली की हुई नीलामी, जज ने भी लगाई बोली, पढ़ें मजेदार जोक्स

Humor Jokes: हंसते और मुस्कुराते रहने भर से ज़िन्दगी आसान लगने लगती है और तन के साथ-साथ हमारा मन भी स्वस्थ रहता है. इसलिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि हंसते और मुस्कुराते रहें और दूसरों को भी हंसाते रहें. तो इसी कोशिश में हम आपके लिए लाए हैं कुछ मजेदार चुटकुले जिन्हें आप पढ़कर अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे.

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Funny Jokes
Funny Jokes

Latest Funny Jokes and Chutkule in Hindi: चुटकुले लोगों की जिंदगी में तनाव को कम करते हैं और आपको हंसाते हैं, जिससे आप स्वयं में नई ऊर्जा महसूस करते हैं. हर इंसान के जीवन के लिए हंसना बहुत जरूरी है. तो इसी कोशिश में आइए शुरू करते हैं हंसी का सिलसिला और आपको पढ़ाते हैं मजेदार जोक्स, जिन्हें पढ़कर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे और दूसरों को भी सुनाएंगे... 

एक छिपकली की नीलामी हो रही थी
पहली बोली थी- दस लाख
दूसरी बोली थी- पचास लाख
तीसरी बोली थी- एक करोड़
इतने में जज साहब बोल पड़े
इस छिपकली में ऐसी क्या बात है, जो लोग इतनी ऊंची बोली लगा रहे हैं.
तभी किसी ने कहा- जज साहब, इस छिपकली से बीवी डरती है. इसके बाद जज साहब ने भी बोली लगाई.

लड़की -भैया मुझे चप्पल लेनी है
दुकानदार -ये देखो बहन जी नया डिजाइन
लड़की -और दिखाओ
ये नहीं
और दिखाओ
दुकानदार -बहन जी अब तो सारी चप्पल दिखा दीं
अब तो कोई नहीं बची
लड़की-अरे भैया वो एक और डिब्बा रखा है ना
दुकानदार -रहंम करो बहन जी
वो मेरा लंच का डिब्बा है.

ऐसे ही मज़ेदार जोक्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

> हसबेंड वाइफ हाथ पकड़े बाज़ार जा रहे थे..उन्हे देख कर दोस्त बोला, इतने साल बाद भी इतनी मोहब्बत..
हसबेंड बोला, ओ भाई.. कैसी मोहब्बत..हाथ छोड़ते ही दुकान मे घुस जाती है..

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> पति- इतनी अच्छी चटनी कैसे बना लेती हो?
पत्नी- चटनी बनाते समय आपके बारे में सोच लेती हूं, कूटने में आसानी होती हैं.

> पत्नी के साथ 10 साल का समय
पत्नी : तुम्हें मेरे साथ 10 साल का समय कैसा लगा ?
पति : एक सेकंड के बराबर…
पत्नी : मेरे लिए 10000 रुपए कितने होते हैं ..?
पति : एक रुपए के सिक्के के बराबर..
पत्नी : तो मुझे एक रुपए का सिक्का दो..
पति : एक सेकंड तक वेट करो..

(डिस्क्लेमर: इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा... गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उस पर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य बिल्कुल भी नहीं है)

 

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