अजमेर हमारी उस गंगा जमनी तहज़ीब का हिस्सा है जिसके दामन में कभी पाकिस्तान हुआ करता था. अजमेर हमारी उस संस्कृति का भी हिस्सा है जिसमें शहंशाह फ़क़ीरी की चौखट पर सजदा करता है. अजमेर एक परंपरा का नाम है जहां सब कुछ हासिल करने वाला सबकुछ त्याग देने वाले के सामने सर झुकाता है. और यही वजह है कि क़रीब 800 सौ सालों से. लगातार ये आस्ताना मायूस आंखों की मन्नतें पूरी कर रहा है. यहां आने वाले के लिए ना सरहद मायने रखती है औऱ ना ही सियासत.