scorecardresearch
 
Advertisement

शीना से स्वर्णिम तक....

शीना से स्वर्णिम तक....

जिस उम्र में उसे मां-बाप का खिलौना होना चाहिए, उस उम्र में ही उसके हाथों में दर्द की डायरी थमा दी गई. वो डायरी जिसमें उसने अपने सारे रिश्ते, सारे जज़्बात, सारी भड़ास, सारे गम उंडेल डाले.

Advertisement
Advertisement