उसने जिंदगी में बस दो बार जिद की. एक बार तब जब वो तीन साल के थे, बांसुरी के लिए..और दीसरी बार तब जब उनकी मौत से ठन गई. वंदे मातरम में जानिए कारगिल युद्धा के हीरो कैप्टन मनोज पांडे के बारे में.
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