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उधर तबाही का सैलाब, इधर दर्द का

उधर तबाही का सैलाब, इधर दर्द का

कुदरत के उस ज़लज़ले ने न जाने कितनी खुशहाल जिंदगियों में गम और दुखों का सैलाब पैदा कर दिया है. अलग-अलग परिवारों के लोग हंसी खुशी चार धाम की यात्रा पर ये कहकर निकले थे कि जल्द ही वापस लौटेंगे लेकिन उनका इंतजार अब भारी पड़ता जा रहा है.

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