आजादी के साथ ही देश को बंटवारे का दंश भी मिला था. आजादी और बंटवारे को अब 5 महीने से ज्यादा बीत चुके थे, लेकिन बंटवारे की आग अब भी धधक रही थी. देश के बाकी हिस्सों के साथ-साथ अब राजधानी दिल्ली भी दंगाईयों के चपेट में आ चुकी थी. कुछ लोगों को लगता था कि इसके लिए गांधी जी जिम्मेदार हैं और उनमें से एक नाथूराम गोडसे भी था.
Truth about Gandhi's Assassination