माना जाता है कि साठ के दशक में महाराष्ट्र में बाल ठाकरे की भड़काउ राजनीति को कांग्रेस ने ही हवा दी थी. चालीस साल बाद बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे भी वही राजनीति कर रहे हैं. इस तरह खुल के या छुप के, मराठी हितों की आड़ में राजनीति करने वाले तीन खिलाड़ी हो गए हैं.