शक्ति सत्ता का स्वभाव होती है. अगर इस स्वभाव से जवाबदेही और आलोचना हट जाएं तो यह स्वभाव तानाशाह बन जाता है. किसी भी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है कि आलोचना और जवाबदेही की गुंजाइश हमेशा बनी रहे. तीन साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस जगह खड़े हैं. उस समय में हिंदुस्तान में विपक्ष की स्थिति बेहद खराब है. ये ना तो नरेंद्र मोदी के लिए अच्छा है और ना ही लोकतंत्र के लिए.