भारत रत्न अटिल बिहारी वाजपेयी, एक नहीं अनेक परिचय. अटल जी की हर पंक्ति में कविता था फिर वो चाहे संसद में क्यों ना बोल रहे हों. एक बार उन्होंने कहा था कि मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं. वो हारे हुए सिपाही का नैराश्य निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है.. वो निराशा का स्वर नहीं, वो आत्मविश्वास का जयघोष है. देखें- अटल जी की ये कहानी.