तीस जुलाई की सुबह जब नागपुर सेंट्रल जेल के स्टाफ याकूब मेमन के बैरक में पहुंचे और उसे चलने के लिए कहा तब याकूब मेमन कांप रहा था. उसके हाथ और पैर दोनों कांप रहे थे. हालांकि याकूब की कहानी अब खत्म हो चुकी है. मगर उसकी जिंदगी के आखिरी चंद घंटों और आखिरी पलों की कहानी जेल से अब बाहर आ रही है.