27 जुलाई को जेएनयू के पीएचडी स्टूडेंट दिलीप यादव को प्रशासन ने हॉस्टल से बाहर कर दिया. जेएनयू प्रशासन ने दिलीप को पिछले साल जून में अकैडमिक कांउसिल में हंगामा करने और अक्टूबर में एडमिन ब्लॉक के घेराव का दोषी माना था. प्रशासन ने दिलीप और दूसरे छात्रों पर फाइन लगया और हॉस्टल बदलने की सजा सुनाई. प्रशासन के आदेश के खिलाफ छात्र हाई कोर्ट गए. हाई कोर्ट ने छात्रों को 28 जुलाई तक फाइन जमा कराने का आदेश दिया लेकिन जेएनयू प्रशासन ने 27 जुलाई को ही दिलीप को हॉस्टल से निकाल दिया और कमरे में ताला लगा दिया.